जब मैं छोटा था

जब मैं छोटा था, शायद दुनिया बहुत बड़ी हुआ करती थी..
मुझे याद है मेरे घर से “स्कूल” तक का वो रास्ता, क्या क्या नहीं था
वहां, चाट के ठेले, जलेबी की दुकान, बर्फ के गोले, सब कुछ,

अब वहां “मोबाइल शॉप”, “विडियो पार्लर” हैं, फिर भी सब सूना है..
शायद अब दुनिया सिमट रही है…
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जब मैं छोटा था, शायद शामे बहुत लम्बी हुआ करती थी.
मैं हाथ में पतंग की डोर पकडे, घंटो उडा करता था, वो लम्बी “साइकिल रेस”,
वो बचपन के खेल, वो हर शाम थक के चूर हो जाना,

अब शाम नहीं होती, दिन ढलता है और सीधे रात हो जाती है.
शायद वक्त सिमट रहा है..
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जब मैं छोटा था, शायद दोस्ती बहुत गहरी हुआ करती थी,
दिन भर वो हुज़ोम बनाकर खेलना, वो दोस्तों के घर का खाना, वो लड़कियों की
बातें, वो साथ रोना, अब भी मेरे कई दोस्त हैं,

पर दोस्ती जाने कहाँ है, जब भी “ट्रेफिक सिग्नल” पे मिलते हैं “हाई” करते
हैं, और अपने अपने रास्ते चल देते हैं,

होली, दिवाली, जन्मदिन , नए साल पर बस SMS आ जाते हैं
शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं..

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जब मैं छोटा था, तब खेल भी अजीब हुआ करते थे,
छुपन छुपाई, लंगडी टांग, पोषम पा, कट थे केक, टिप्पी टीपी टाप.
अब इन्टरनेट, ऑफिस, हिल्म्स, से फुर्सत ही नहीं मिलती..

शायद ज़िन्दगी बदल रही है.
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जिंदगी का सबसे बड़ा सच यही है.. जो अक्सर कबरिस्तान के बाहर बोर्ड पर लिखा होता है.
“मंजिल तो यही थी, बस जिंदगी गुज़र गयी मेरी यहाँ आते आते “
.
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जिंदगी का लम्हा बहुत छोटा सा है.
कल की कोई बुनियाद नहीं है
और आने वाला कल सिर्फ सपने मैं ही हैं.
अब बच गए इस पल मैं..
तमन्नाओ से भरे इस जिंदगी मैं हम सिर्फ भाग रहे हैं..
इस जिंदगी को जियो न की काटो

कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ

कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ

या दिल का सारा प्यार लिखूँ

कुछ अपनो के ज़ाज़बात लिखू या सापनो की सौगात लिखूँ ॰॰॰॰॰॰

मै खिलता सुरज आज लिखू या चेहरा चाँद गुलाब लिखूँ ॰॰॰॰॰॰

वो डूबते सुरज को देखूँ या उगते फूल की सान्स लिखूँ

वो पल मे बीते साल लिखू या सादियो लम्बी रात लिखूँ

मै तुमको अपने पास लिखू या दूरी का ऐहसास लिखूँ

मै अन्धे के दिन मै झाँकू या आँन्खो की मै रात लिखूँ

मीरा की पायल को सुन लुँ या गौतम की मुस्कान लिखूँ

बचपन मे बच्चौ से खेलूँ या जीवन की ढलती शाम लिखूँ

सागर सा गहरा हो जाॐ या अम्बर का विस्तार लिखूँ

वो पहली -पाहली प्यास लिखूँ या निश्छल पहला प्यार लिखूँ

सावन कि बारिश मेँ भीगूँ या आन्खो की मै बरसात लिखूँ

गीता का अॅजुन हो जाॐ या लकां रावन राम लिखूँ॰॰॰॰॰

मै हिन्दू मुस्लिम हो जाॐ या बेबस ईन्सान लिखूँ॰॰॰॰॰

मै ऎक ही मजहब को जी लुँ ॰॰॰या मजहब की आन्खे चार लिखूँ॰॰॰

कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ

या दिल का सारा प्यार लिखूँ
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ओह !!कहा गया हमारा वो बचपन

पहले मै इस बात को कभी इतने दिल से महसूस नहीं करता था , पर आज दिल्ली जैसे महानगर की भागदौड़ वाली ज़िन्दगी में आकर इस बात को कहने को मजबूर हो गया हूँ ….. वो गाँव की सुकून भरी ज़िन्दगी ……उफ़ उन पलो को याद करते ही कितनी ख़ुशी मिल रही है … …………लेकिन दिल में आज भी गाँव में बिताये हुए दिनों की याद ताज़ा है ……….……वो रातो में दिए के उजाले में रहना …वो मंद मंद मुस्काती रौशनी …………और …..फिर वो चाहे गर्मी की जलती हुई दोपहर ही क्यों न हो हर वक़्त बस खेलना घूमना ………..और खाना ………..क्या गर्मी क्या धुप कोई भी बात हमारे खेल कूद में अंकुश नहीं लगा पाती थी…हमारा गाँव का घर बहुत बड़ा है ………और उसका आँगन और भी बड़ा …..आँगन के बीच में छोटा सा मंदीर बना हुआ है और उसी मंदीर से सटा हुआ तुलसी का पेड़ ……….उस तुलसी की पत्तिया आज भी मन में बसी हुई है ………उस वक़्त गाँव में न तो कूलर न ही ए. सी., रात को आँगन में एक लाइन से चारपाई लग जाती थी और वहीँ पर सारे लोग सोते थे …….. फिर रात के आठ बजते ही हम सारे बच्चे चारपाई में नानी को घेर लेते थे फिर वो हमें या तो कहानी सुनाया करती थी या फिर पहेलियाँ बूझा करती थी , कभी अपने जमाने की बाते भी बताने लगती थी ………और मेरे बाबा कभी कभी चुड़ैल और भूतो की कहानी कह कर हमें डराने लगते थे ,जिसे वो सत्य घटना बताया करते थे , जैसे की फलां आम के पेड़ में चुडेल है बगीचे के बरगद के पेड़ में चुडेल रहती है , वगैरह वगैरह ……..ये सब सुनते सुनते रात हम सो जाते थे . और फिर चिडियों की चहचाहाहट से नींद खुलती थी लेकिन फिर भी उठते नहीं थे जब तक नानी चिल्ला चिल्ला कर थक नहीं जाती थी ….फिर आंगन के हैण्ड पम्प में जाकर मंजन होता था लाल दन्त मंजन ……..दादी और दादा तो नीम की दातौन करती है जिसकी वजह से आज भी उनके दांत सही है और हमें हर छः महीने में दातो के डाक्टर के पास जाना पड़ता है…….उसके बाद हम लोग बतियाते हुए दुआरे(घर के बाहर) बैठे रहते थे , ……….,और फिर दादी या मम्मी कुछ खाने के लिए देती थी .………और उसके बाद मंदिर के उत्तर वाले बागीचे में पहुँच जाते थे आम खाने……गाँव के घर में कई कमरों के नाम दिशाओं के हिसाब से बोले जाते थे जैसे दक्षिण दिशा में दो कमरे थे जिनमे अनाज वगैरह रखा जाता था उसे दक्खिन घर और एक पश्चिम घर था जिसमे मम्मा(दादी) घी, दूध,मट्ठा, अचार, और मिठाई वगैरह रखती थी पर उसमे जाने की मनाही थी वो ही निकाल के दे सकती थी किसी को भी इजाज़त नहीं थी उनके पश्चिम घर में जाने की……….इन कमरों के बारे में बताते बताते मुख्य बात तो रह गयी …आमो की बात …..उफ़ वो रसीले मीठे आम ….और सबसे बड़ी बात, कितने सारे आम कितने भी खाओ कोई गिनती नहीं, कोई चिंता नहीं….. ……सुबह भी आम खाते थे फिर पूरी दोपहर आम खाते थे . ….एक बार में चार पांच आम तो खा ही लेते थे …..अब वो आम खाने में कहाँ मज़ा आता है एक तो इतने महंगे है आम ……और फिर कैसे भी करके खरीदो तो वो गाँव के आमो जैसा स्वाद उनमे कहाँ आता है …….और अमावट जिसे शहर की भाषा में आम पापड कहते है उसका स्वाद भी कहाँ दुकानों से ख़रीदे आम पापड़ में आता है ……… इन दुकानों की चका चौंध में दिखावे में हर चीज़ का स्वाद गुम होता जा रहा है……बस दिखाई देता है चमकते हुए कागजों में बंद सामान जिसमे सब कुछ बनावटी …स्वाद भी ………… हमने तो फिर भी कुछ असली चीजों का स्वाद चखा है ……लेकिन हमसे आगे आने वाली पीढ़ी तो पिज्जा बर्गर में ही गुम होकर रह जाएगी क्या उन्हें कभी हमारी देसी चीजों का स्वाद पता चल जाएगा ……….फिशर प्राइज़ के खिलोने क्या कभी अपने खुद के हाथो से बने मीट्टी के खिलोनो का मुकाबला कर पायेंगे …………जिस गाय के गोबर से हमारे गाँव के घरो को लिपा जाता था उसी गाय के गोबर को देखते ही आज की पीढ़ी मुह बना कर नाक बंद कर लेती है….. हम लोग निम् के पेड़ की सबसे ऊँची डाल पर झूला बाँध कर झूलते थे, गाँव के तालाब के किनारे और खेतो में दौड़ दौड़ कर जो खेल खेला करते थे उन खेलो का, बंद कमरों में बैठ कर कम्पूटर के सामने खेले जाने वाले खेलो से क्या कोई मुकाबला है …….पर क्या इसमें आज की पीढ़ी की गलती है नहीं इसमें गलती तो हमारी है ……….उनकी छुट्टिया होते ही हम उन्हें समर कैंप में भेज देते है या फिर किसी हिल स्टेशन में घुमाने लेकर चले जाते है ……….क्योंकि अब हम खुद ही बिना सुविधाओं के नहीं रह पाते है ……… …….जबकि गाँव जाकर हम वो सीख सकते है जो हमें कोई समर केम्प नहीं सीखा सकता ………….. सादगी, भोलापन , बड़ो का सम्मान, अपनों से प्यार, प्रकृति से लगाव ये सब हम वहाँ से सीख सकते है……….गाँव में बीताये हुए वो बचपन की यादे अभी भी मेरे ज़ेहन में यं ताज़ा है जैसे कल ही की बात हो ………चूल्हे में बने हुए खाने का स्वाद , वो कुँए का मीठा पानी सब कुछ मन में बसा हुआ है ………..


आज भी जब जगजीत सिंह की इस ग़ज़ल को सुनता हूँ तो आँखे नम हो जाती है …..“ये दौलत भी ले लो ये शोहरत भी ले लो, भले छिन लो मुझसे मेरी जवानी, मगर मुझको लुटा दो वो बचपन का सावन, वो कागज़ की कश्ती वो बारिश का पानी……….कड़ी धुप में अपने घर से निकलना, वो चिड़िया वो बुलबुल वो तितली पकड़ना, वो गुडिया की शादी में लड़ना झगड़ना, वो झूलो से गिरना वो गिर कर संभलना, ना दुनिया का ग़म था न रिश्तों का बंधन, बड़ी खूबसूरत थी वो जिंदगानी…….. सच बड़ी खूबसूरत थी वो जिंदगानी

यदि ऐसे लक्षण है तो समझो आपको प्यार हो गया है

  1. अचानक आपका संगीत का टेस्ट बदल गया हो, विरह गीत से आप सीधे सीधे डुएट पर उतर आए हो।
  2. आपको माँ के हाथ की बनी रोटियों मे भी उसका चेहरा नज़र आता हो।
  3. रात करवटें बदल बदल कर कटती हो।
  4. सारा दिन उसके ख्यालों मे बीतता हो।
  5. जब घर वाले कहने लगे, आप ऊंचा सुनने लगे हो।
  6. जब आप उसके घर पर बार बार फोन करके काटने मे पारंगत हो चुके हो।
  7. मोबाइल का बिल दस गुना बढ गया हो।
  8. आप इंटरनैट पर प्यार मोहब्बत वाले एसएमएस ढूंढने लगे हो।
  9. बॉस की डॉट का भी बुरा नही लगता हो।
  10. घर से कंही भी जाने के रास्ते महबूब की गली से होकर गुजरते हो।
  11. जब जिंदगी बहुत खूबसूरत लगने लगे।
  12. बार बार आईना देखने का मन करता हो….
  13. टीवी पर आने वाले हर प्रोग्राम मे नायिका का चेहरे मे आप अपने प्रियतमा का ही चेहरा नज़र आता हो।
  14. उर्दू समझ मे ना आने के बावजूद, गज़लें बहुत पसन्द आने लगी हो।
  15. आप बार बार ये सोचने लगे, कि ये पहले क्यों नही मिली (अगर बाद मे खुदा ना खास्ता शादी हो गयी, तो भी वैसा ही सोचोगे, बस "नही " शब्द हट जाएगा।)
  16. जब पाँच बजे का मिलने का वक्त तय हो, तो आप 1 बजे ही मिलन घटनास्थल पर पाए जाएं।
  17. घर से आप पूरा होमवर्क (स्क्रिप्ट,स्टाइल, शेरो शायरी याद करना) करके चले हो, लेकिन उसके सामने बोलती बंद हो जाए।
  18. जब आप उसके नाम के पहले अक्षर की अंगुठियों के डिजाइन देखना/पसंद करना शुरु कर दें।
  19. बार बार कल्पना करने लगते हो, कि काश! इस दुनिया मे सिर्फ़ वो और आप हो….बाकी कोई नही।
  20. माशूका के घरवाले आपके लिए कभी ईश्वर तो कभी, यमदूत की तरह दिखने लगते हो।
  21. गणित के सवाल हल करते समय, अक्सर शून्य मे उसका चेहरा दिखने पर, अटक जाते हो।
  22. जब उसके नाम और अपने नाम मे आप समानता ढूंढने लगते हो।
  23. उसके धर्मस्थलों पर आपके विजिट बढ जाते हो।
  24. जब आप चैट वाले साफ़्टवेयर मे नया आईडी( जो सिर्फ़ उसको पता हो) बनाकर लागिन करते हो। और घंटो उसका इंतजार करते हो।
  25. दिन मे सैकड़ों बार उसके नाम को गूगल करते हो।
  26. किसी और का फोन मिलाते मिलाते, उसका मोबाइल मिला दें।
  27. आपके बिजनैस प्रेजेन्टेशन मे उसका नाम बेसाख्ता जुबान पर आ जाए।
  28. उसने नाम या शक्ल मिलने वाली हिरोइनों की सारी फिल्मों की डीवीडी (भले ही आर्ट मूवी हो) आप खरीद लाएं।
  29. उसकी पसंद के रंग के कपड़े आपको पसंद आने लगे।
  30. अपनी पसंद को नज़रअंदाज करके, आप उसकी पसंदीदा ब्रांड/बैंड/फूल/किताब/फिल्म/नाटक/गीत/संगीत पर अपने पैसे फूंकने लगे हो।
  31. अक्सर उसका जिक्र आने पर आपका चेहरा गुलाबी हो जाए।
  32. जहाँ जहाँ उसका आना-जाना हो, उन जगहों पर आप अक्सर अपना डेरा जमाने लगे।
  33. उसके अलावा बाकी लड़कियां (भले ही मल्लिका शेरावत टाइप की दिखें) आपको बेकार दिखने लगे।
  34. ईश्वर मे आस्था बढ जाए। मंदिरो/मजारों पर आना जाना बढ जाए।
  35. आप मन्नतों के धागे बांधने शुरु कर दें।
  36. आप दोस्तों से झूठ बोलने लगे

Saturday, March 12, 2011

प्रेम



दिल किसी का न टूटे  दुआ कीजीये,
 बनके राधा के मोहन रहा कीजीये / 
 प्रेम की  बासुरी गर बजाये कोई, 
 प्रेमधुन में उसी  के रमा  कीजीये //
 प्रेम अनमोल है इसकी कीमत नहीं
 ,
 धर्म और धन में इसको तो मत तोलिये /
जिन्दगी चार दिन की जियो प्रेम से,
 नफरतो का जहर तो है मत घोलिये //


  प्रेम तो है इबादत उस ईश की,
 प्रेम रस में हमेशा गमन कीजीये /
तुमको मिल जाये कोई दिवाना कभी,
 उसकी दीवानगी को नमन कीजीये // 


इस धरा पर है  चहु  ओर संकट बहुत,
 प्रेम के हर सुमन से चमन कीजीये /
मिलन हो जाये सबका जरुरी नही,
 दूर ही दूर से प्रेम  है   कीजीये /
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सोचा था इस बार उनको भूल जायेंगे,
देख कर भी अनदेखा कर जायेंगे,
पर जब-जब सामने आया उनका चेहरा ,
सोचा इस बार देख लू ,
अगली बार भूल जायेंगे ,
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ऐ ख़त जा.उनके दामन को चूम लेना.
जब ओ पढ़े तो उनके होठो को चूम लेना.
खुदा न करे. अगर ओ पढ़ कर फेक दे .
तो उनके कदमो को चूम लेना 
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आँखों में आंशु आ जाते है .
फिर भी लबो पे हसी रखनी पड़ती हैं.
ये मोहब्बत भी क्या चीज है यारो.
जिससे करो उसी से छुपानी पड़ती हैं /

Tuesday, March 8, 2011

सह लिया हर दर्द हमने हंसते हंसते

सह लिया हर दर्द हमने हंसते हंसते 
उजाड़ गया घर मेरा यारो बसते बसते..
अब वफ़ा करे तो किस से करे
वफ़ा करने गए तो बेवफा ही मिले रस्ते रस्ते,,
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कभी फूल कभी हवा बनके छु जायेंगे,
हम तो मर के भी  साथ निभा जायेंगे.
कभी तन्हाई में याद करना हमे,
हसीं बनके होठों पे खिल जायेंगे,,
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वफ़ा के नाम से वो अनजान थे,
किसी की बेवफाई से शायद परेशां थे,
हमने वफ़ा देनी चाही तो पता चला,
हम खुद बेवफा के नाम से बदनाम थे.,
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लड़कियों के टॉप १० झूठ ,
(१) मैं तुम्हे याद करती हूँ 
(२)मैं झूठ नहीं बोलती हूँ ,
(३)मैं पहली बार किसी लड़के से बात कर रही हूँ ,
(४)मुझे तुम कहना अच्छा नहीं लगता हैं
(५)मैं प्यार पर विश्वाश नही करती हूँ,
(६)मैं कजिन से बात कर रही थी
(७)मैं दूसरी लड़कियों जैसी नहीं हूँ .
(८)मुझे कुछ नहीं पता
(९)सब लड़के एक जैसे होते हैं 
(१०)तुम मेरी जिंदगी के पहले और आखरी लड़के हो
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एक लड़का और एक लड़की एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे.
दुर्भाग्य से लड़का मर गया..
मरने के बाद उसने लड़की से कहा

"एक वादा था तेरा हर वादे के पीछे,
......तू मिलेगी मुझे हर दरवाज़े क पीछे,
पर तू मुझे रुसवा कर गयी
एक तू ही ना थी मेरे जनाज़े के पीछे".

इतने में लड़की की आवाज़ आई,
उसने कहा . .

एक वादा था मेरे हर वादे के पीछे,
मैं मिलूँगी तुझे हर दरवाज़े के पीछे,
पर तूने ही मूड के ना देखा,
एक और जनाज़ा था तेरे जनाज़े के पीछे
***************************************
जब नजरो से नजरो का टकराव होता हैं.
हर मोड़ पर किसी का इंतजार होता हैं,
दिल रोता हैं,और जख्म हँसते हैं,
इसी का नाम तो प्यार होता हैं,
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खुदा से मैंने एक दुवा मांगी,
दुवा में अपनी मौत मांगी,
खुदा ने कहा की मौत तो तुझे दे दू ,
पर उसे क्या दू ,
जिसने तेरी लम्बी उमर की दुवा मांगी 
***************************************
जिंदगी देने वाले , मरता छोड़ गये,
अपनापन जताने वाले तन्हा छोड़ गये,

जब पड़ी जरूरत हमें अपने हमसफर की,
 वो जो साथ चलने वाले, रास्ता मोड़ गये ॥
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मैंने भी किसी से प्यार किया था.,
खड़े होकर उनकी राहो में इजहार किया था,,
मुझे क्या पता था वो भूल जाएगी मुझे,
गलती उसकी नहीं हमारी ही थी,
जो एक बेवफा से प्यार किया था ,
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जमाने से नहीं तन्हाई से डरते हैं ,
चाहत से नहीं रुसवाई से डरते है,
मिलने की हसरत हैं इस दिल में ,
लेकिन मिलने के बाद जुदाई से डरते है, 
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एक दिल मेरे दिल को जख्म दे गया ,
जिंदगी भर तड़पने का गम दे गया,
लाखो फूलो में एक फूल चुना था मैंने.
जो काँटों से भी गहरी चुभन दे गया,

Thursday, March 3, 2011

आंसुओं को बहुत समझाया

आंसुओं को बहुत समझाया तन्हाई में आया करो,
महफ़िल में आ कर मेरा मजाक ना बनाया करो!
आँसूं बोले, इतने लोगों के बीच भी आपको तनहा पाते हैं,
बस इसीलिए साथ निभाने चले आते हैं!! 
किसी की चाहत को सजा मत देना,
किसी की मुहब्बत को दगा मत देना,
जिसे तुम्हारे बिना जीने की आदत ना हो,
उसे कभी लंबी उम्र की दुआ मत देना। 

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https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjDawVJCPWctg9RTCytc8YIvHZQnWjRv0tGHgPH7S2QeGT1WYz38h0VJ-JvoNManmgQ1r8gotNV2btUL8T0hAVZYYf1nzHLErriawoDXS5xlwT2XGNG0bxVjeNyYCbnzaGe7-lG3bqvnxth/s1600/model.jpgटूटे हुए तारे को देख कर मैं ने कहा
ऐ दिल मांग ले तू भी मुराद कोई ,
फिर दिल से आवाज़ आई की,जो खुद टूट रहा हो ,
कैसे पूरी करेगा वोह फरयाद कोई . 

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बहकते आंसुओं की जुबां नही होती।
लफ्जों में मोहब्बत बयां नही होती।
प्यार मिले तो तुम उसकी कदर करना,
किस्मत हर किसी पे मेहरवां नहीं होती।

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जाते- जाते वो कैसा सितम कर गए।
कुछ और मेरे नाम नए गम कर गए।
जाने कहां खो गया उनका दिया पता,
                                                               देखिए वो मेरी आंखें ही नम कर गए।

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नजरें ही मिला करतीं, कोई बात नहीं होती।
कभी महबूब से अपने, मुलाकात नहीं होती।
मत पूछिए अब कहानी, गैरों के इरादों की,
अपनों ने वफा की होती, तो मात नहीं होती।

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लोग अपना बनाकर छोड देते हैं
रिश्ते गैरों से जोड लेते हैं
हम तो एक फूल भी नही तोड सके
लोग तो दिल भी तोड देते हैं

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जब प्यार करना सीख लिया,
तो बेवफाई का जख्म भी ले लिया
इस डर से कि कोई देख ना ले 
ये आंसू हमने हर गम में मुस्कुराना भी सीख लिया 
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जिनकी आंखें आंसू से नम नहीं
क्या समझते हो उसे कोई गम नहीं 
तुम तड़प कर रो दिये तो क्या हुआ
गम छुपा के हंसने वाले भी कम नहीं।
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हर ध्‍ड्रकन में एक राज्र होता है
हर बात को बताने का एक अंदाज्र होता है
जब तक ठोकर न लगे बेवफाई की
हर किसी को अपने प्यार पे नाज्र होता है
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जिंदगी कुछ नहीं बस दोड़ धुप है,
रोती आँखों से देखो तो मायुश सी लगती है,
हस्ती आँखों से देखो तो हस्ती हुई लगती है

गम के आंसू

जनाजा रोककर वो मेरे से इस अन्दाज़ मे बोले,                
गली छोड्ने को कही थी हमने तुमने दुनियां छोड दी।


आशिक जलाए नही द्फनाय़े जाते हैं, 
कब्र खोद कर देखो इन्तज़ार करते पाय़ जाते हैं ।

आता नही हमको राहें वफा दामन बचाना, 
तुम्ही पर जान दे देगें एक दिन आज़मा लेना।

जो गिर गया उसे और क्यों गिराते हो, 
जलाकर आशियाना उसी की राख उडाते हो ।

गुज़री है रात आधी सब लोग सो रहे हैं,
यहां हम अकेले वैठे तेरी याद मे रो रहे हैं ।


गुज़रे है आज इश्‍क के उस मुकाम से, 
नफरत सी हो गयी है मोहबत के नाम से ।

जिस पेड के पत्‍ते होते है वही पत्ते सूखते है, 
जिस दिल मे मोहबत होती है वही दिल टूटते है ।

जब खामोशी होती है नज़र से काम होता है, 
ऐसे माहौल का शायद मोहबत नाम होता है।

तुम क्या मिले कि फैले हुए गम सिमट गये, 
सदियों के फासले थे जो लम्हो मे कट गये।

वो फूल जिस पर ज्यादा निखार होते हैं, 
किसी के दस्त हवस का शिकार होते हैं ।

पी लिया करते हैं जीने की तमना मे कभी, 
डगमगाना भी जरुरी है सम्भलने के लिये ।

मै जिस के हाथ मे एक फूल दे कर आया था,
उसी के हाथ का पत्थर मेरी तलाश मे है ।

आपको मुबारक हो इशरते ज़माने की, 
हमने पाई है दौलत दर्द के ज़माने की।

कब तक तू तरसेगी तरसाएगी मुझ को,
एक बार कह दे मुझको तुमसे प्यार नही ।


अगर खुश हो तुम दिखाकर अश्क मेरी आँखों में,
दिल से कहते हैं मुस्कराना छोड़ देंगे,
तड़पते रहेंगे तुझे देखने को.
मगर तुम्हारी तरफ नजर उठाना छोड़ देंगे .
झूट का कंही सांच बा इ बतिया,
उनका बिना जिनगी उदास लागेला,
कईसे बुझायीं इ छतिया के अगिया ,
उनका बिना जियरा के पियास लागेला.

रौवा से का छुपाईं रौवा हईं संघतिया,
उनका बिना जिनगी उजाड़ लागेला,
सुनीं सुनीं रउवो सुनीं इ बिरहा के बतिया,
उनका बिना इ संसार पहाड़ लागेला.

अयीनी कमाए विदेसी में रुपिया,
उनका बिना रुपिया जंजाल लागेला,
कईसे कंही, केह्से कंही मनवा के बतिया..

तेरे चाहत तो सलाम

तुम्हे जब मुझ से ज्यादा गैर प्यारें हैं,
फिर मेरी याद मे तुम तडपती क्यो हो,
तुमने ही पावंदी लगाई है मुलाकातो पर,
फिर अब राहें मेरी तुम तकती क्यों हो.
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तेरे प्यार को, तेरे चाहत तो सलाम,
कदमो को तेरे, तेरी आहट को सलाम.
जिस प्यार से तुने सवारी जिंदगी मेरी,
ऐ मेरे यार तेरी इस इनायत को सलाम.
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किसी परी की जवानी लगी थी तुम,
प्यार की एक कहानी लगी थी तुम,
सबूत तूम ही थी कुदरत के नूर का,
जीती जागती कोई निशानी लगी थी
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आँसू गिरने की आहट नही होती

जब तक कांटों के साथ था
गुलाब जिंदा रहा
अलग हुआ तो मुरझा गया,
वह चिराग क्या अपना दर्द बयान करे
जिसको जलाने वाला ही बुझा गया।
पल पल रंग बदलती इस जिंदगी में
कभी खुशनुमा पल तो
कभी हादसे भी पेश आते हैं,
उम्मीद में छा जाता ग़म का अंधेरा
जहां टूटे सपने चुभोते हैं नश्तर
वहां तिनके भी फरिश्ते बन जाते हैं,
अपनों ने बढ़ायी हैं जहां उलझने
वहां कोई गैर मसले सुलझा गया।
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यह जरूरी नहीं कि
हर किसी का कोई सहारा हो
कि जिसे हम प्यार करें
उसे भी हमसे प्यार हो
कुछ कश्तियां तो समंदर मैं ही डूब जाती हैं
यह जरूरी नहीं कि हर किश्ती का कोई किनारा हो
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ना सवाल बन के मिला करो
ना जवाब बन के मिला करो
मेरी जिंदगी मेरा ख्वाब है
मुझे ख्वाब बन के मिला करो
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इतनी मोहब्बत है मेरे दिल में आपके लिये
कि यह कभी कम न हो पायेगी
जिस दिन जायेंगे इस दुनिया से
उस दिन मौत भी आंसूं बहायेगी
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निगाहें निगाहों से मिलाकर तो देखो
नये लोगों से रिश्ता बना के तो देखो
हसरतें दिल में दबाने से क्या फायदा
अपने होंठों को हिला के तो देखो
आसमां सिमट जायेगा तुम्हारे आगोश में
चाहत की बाहें फैला कर तो देखो
 
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आँसू गिरने की आहट नही होती
दिल के टूटने की आवाज नहीं होती
गर होता उन्हें एहसास दर्द का
तो दर्द देने की आदत नहीं होती !
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प्यार कमजोर दिल से किया नहीं जाता
जहर दुश्मन से लिया नहीं जाता
दिल में है उल्फत जिस प्यार की
उसके बिना जिया नहीं जाता!
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एक सवाल दुनिया बनाने वाले से

दुनिया बनाने वाले तूने कैसी ये दुनिया बनाई,
है जिसमें दिन रात,गर्मी सर्दी, सत्य असत्य की लड़ाई |

तूने जो बनाया,मानव माटी का पुतला देखने को खेल
देख उसी ने करके अनाचार,झगडे, झूठे लफड़े, मारकाट मचाई
तू देख उसके कारनामे, उसी ने की तेरी जग हंसाई।

दुनिया बनाने वाले तूने कैसी ये दुनिया बनाई
देख तेरे खिलोने के कारनामे, तुमको भी लाज क्यों नही आई
त्रेता,द्वापर में आया तू खुद, मारे रावण कंस, आततायी
कलियुग के आतताईयों को मारने की कब होगी भरपाई
नजरे घुमाकर तो देख तेरे बंदे ने कैसी है रार मचाई
चारों ओर है हाहाकार,है गोलीबारी.हत्या मारामारी के दंगाई।

दुनिया बनाने वाले तूने कैसी ये दुनिया बनाई,
सत्य के पुजारी,धर्म के आचारी, कहां जायें, अनाचारियों को कुर्सी पकड़ाई
नोट,वोट,झगडे लफड़ों से करते मनभानी, फिर भी न मोंगे उनसे सफाई
इन लादेनों के दिन कब लदेगे, कब मरेगे ये आतताई |

जिंदगी

जिंदगी में मुस्कुराने का कोई बहाना रखना,
चाहने वालों की कतार में कोई दीवाना रखना।
जिंदगी जिस तरह भी चले चलाना उसको,
खुशियां पराई हों पर गम भी बेगाना रखना।
बादल की उड़ान में खुले आकाश को रखना,
मगर दिल के किसी कोने में जमाना रखना।
जो अच्छा लगे दिल में बसा के रखना उसको,
मगर दिल के एक कोने को वीराना रखना।
भले ही ना बने कोई कहानी जिंदगी में,
पर छोटी सी मुलाकात एक अफ़साना रखना। 
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एक अजब-सी पहेली है जिंदगी,
सबके साथ होते हुए भी अकेली है जिंदगी,
कभी प्यार का अरमान है जिंदगी,
तो कभी दर्द से भरा तूफान है जिंदगी,
कभी कांटों से भरा रास्ता है जिंदगी,
कभी फूलों-सी मासूम है जिंदगी,
और कभी गुनाहों का बोझ बन जाती है जिंदगी,
आखिर क्या है यह जिंदगी ? 
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सुना था चंद रोज की मेहमान है जिंदगी,
इसे छोड़ एक दिन जाना पड़ेगा,
जिंदगी से चाहे जितना प्यार कर लो,
होती है आखिर बेवफा यह जिंदगी,
इसीलिए कुछ ऐसा जी कर जाओ इसे,
कि इतिहास में दर्ज हो जाए यह जिंदगी। 
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दुखों से जो चोट खाता नहीं,
सुख कभी वो देख पाता नहीं।
जिंदगी आंसू की लकीरें नहीं,
यूं ही इसे बहाया जाता नहीं।
दूसरों के आंसू जो पोंछें नहीं,
जीना अभी उसने जाना नहीं।
निज देश हेतु कुछ अर्पण नहीं,
पूजा का तरीका वो जाना नहीं।
मदान्ध वृत्ति में यूं जीना नहीं,
अहंकार से कभी जलना नहीं।
दूजे की धरती पर मरना नहीं,
अपनी धरा को त्यागना नहीं।
इन शब्दों को भूलना नहीं,
भूलने में कोई गरिमा नहीं। 
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जिससे ये तबियत बड़ी मुश्किल से लगी थी
देखा तो वो तस्वीर हर एक दिल से लगी थी
तनहाई में रोते हैं कि यूँ दिल को सुकूँ हो
ये चोट किसी साहिबे-महफ़िल से लगी थी 
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दोस्ती

दोस्ती दिल है दिमाग नहीं
दोस्ती सोच है , आवाज नहीं
कोई आँखों से नहीं देख सकता दोस्ती के जज्बे ,
क्योंकि दोस्ती एहसास है ,अंदाज नहीं
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ऐ दोस्त तेरी दोस्ती पर नाज़ करते है
हर वक्त मिलने की फरियाद करते है
हमे नही पता लेकिन घरवाले बताते है
कि हम नींद में भी आपसे बात करते हैं
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चिरागों से अगर अंधेरे दूर होते तो
चांदनी की चाहत किसे होती,
कट सकती अगर ये जिंदगी अकेले तो
दोस्त नाम की चीज़ ही क्यों होती
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प्यारे से दोस्त हो आप
हर पल मेरे साथ हो आप
दोस्ती की एक आस हो आप
मन का इक विश्वास हो आप
शायद इसलिए कुछ खास हो आप
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दिल टूटना सजा है मोहब्बत की,
दिल जोड़ना अदा है दोस्ती की,
मांगे जो कुर्बानिया वो है मोहब्बत,
जो बिन मांगे हो जाये कुर्बान उसे कहते है दोस्ती
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बातें करके रुला ना दीजिएगा...
यू चुप रहके सज़ा ना दीजिएगा...
ना दे सके ख़ुशी, तो ग़म ही सही...
पर दोस्त बना के यूही भुला ना दीजिएगा..
 
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अपने होठों पर सजाना चाहता हूं
आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूं

कोई आसू तेरे दामन पर गिराकर
बूंद को मोती बनाना चाहता हूं

थक गया मैं करते करते याद तुझको
अब तुझे मैं याद आना चाहता हूं

छा रहा हैं सारी बस्ती में अंधेरा
रोशनी को घर जलाना चाहता हूं

आखरी हिचकी तेरे शानों पे आये
मौत भी मैं शायराना चाहता हूं
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ऐसा दोस्त चाहिए जो हमे अपना मान सके,
जो हमारा दिल को जान सके,
चल रहा हो हम तेज़ बेरिश मे,
फिर भी पानी मे से आँसुओ को पहचान सके!!!!
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ख़ुश्बू की तरह मेरी सांसो मे रेहाना
लहू बनके मेरी नसनस मे बेहाना,
दोस्ती होती है रिस्तो का अनमोल गेहना
इसलिया इस दोस्ती को कभी अलविदा ना कहना
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ख़ुश्बू की तरह मेरी सांसो मे रेहाना
लहू बनके मेरी नसनस मे बेहाना,
दोस्ती होती है रिस्तो का अनमोल गेहना
इसलिया इस दोस्ती को कभी अलविदा ना कहना
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याद आए कभी तो आँखें बंद मत करना........
हम ना भी मिलें तो गम मत करना!!!!
ज़रूरी तो नही के हम नेट पेर हैर रोज़ मिलें
मगर ये दोस्ती का एहसास कभी कम मत करना.
 
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हर पल की दोस्ती का इरादा है आपसे!
अपनापन भी कुछ ज्यादा है आपसे!
न सोचेंगे सिर्फ उम्र भर के लिये!
क़यामत तक दोस्ती निभाएंगे ये वादा है आपसे!
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जिंदगी हर पल कुछ खास नहीं होती!
फूलों की खुशबू पास नहीं होती!
मिलना हमारी तक़दीर में था वरना!
इतनी प्यारी दोस्ती इतफाक नहीं होती!
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दोस्ती अच्छी हो तो रंग लाती है!
दोस्ती गहरी हो तो सबको भाति है!
दोस्ती नादान हो तो टूट जाती है!
पर अगर दोस्ती अपने जैसे से हो, तो इतिहास बनाती है!
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ज़िन्दगी नहीं हमें दोस्तों से प्यारी!
दोस्तों पर हाज़िर है जान हमारी!
आँखों में हमारी आँसू है तो क्या!
जान से भी प्यारी है मुस्कान तुम्हारी!
 
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खुशी भी दोस्तो से है
गम भी दोस्तो से है
टकरार भी दोस्तो से है
प्यार भी दोस्तो से है
रूठना भी दोस्तो से है
मनाना भी दोस्तो से है
बात भी दोस्तो से है
मिसाल भी दोस्तो से है
नशा भी दोस्तो से है
शाम भी दोस्तो से है
ज़िन्दगी की शुरूआत भी दोस्तो से है
ज़िन्दगी मे मुलाकात भी दोस्तो से है
मोहब्बत भी दोस्तो से है
इनायत भी दोस्तो से है
काम भी दोस्तो से है
नाम भी दोस्तो से है
ख्याल भी दोस्तो से है
अरमान भी दोस्तो से है
ख्वाब भी दोस्तो से है
माहोल भी दोस्तो से है
यादें भी दोस्तो से है
मुलाकाते भी दोस्तो से है
सपने भी दोस्तो से है
अपने भी दोस्तो से है
या यू कहुँ यारो
अपनी तो दुनियाँ ही दोस्तो से है

बेवफा

इस से पहले कि बेवफा हो जाएँ
क्यूँ न ए दोस्त हम जुदा हो जाएँ

तू भी हीरे से बन गया पत्थर
हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाएँ

हम भी मजबूरियों का उज़्र करें
फिर कहीं और मुब्तिला हो जाएँ
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अपने बेगाने हुए दुशमन जमाना हो गया,
ज़रा सी बात पर रुसवा फसाना हो गया,
मुझे सज़ा के तौर पर मिला काटों का बिस्तर,
उसका अंगन फूलो का अशियाना हो गया. 
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निभाया वादा हमने शिकवा न किया,
दर्द सहे मगर तुझे रुसवा न किया,
जल गया नशेमन मेरा, खाक अरमां हुए,
सब तुने किया मगर मैने चर्चा न किया.
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निगाहों मे सुरत तेरी दिल मे याद,
प्यार मे हो गई मेरी जिंदगी बरबाद,
बहुत चाहा मगर किस्मत खराब थी,
दुआ मांगी, न हुआ दिल मेरा शाद.
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मुरझा गए फूल खिलकर हसरतों के,
नाकाम हुए सपने हमारी मुहब्बतों के,
दुनियां ने छिन लिया मुझसे यार मेरा,
मुझे याद आ रहे हैं दिन कुरबतों के.
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रुस्वाई ज़िंदगी का मुकद्दर हो गयी,
मेरे दिल की देवी पत्थर हो गयी,
जिसे रात दिन पाने के ख्वाब देखे,
वो बेवफा किसी और की हमसफर हो गई.
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तुम्हारी चाहत मे क्या से क्या हो गया,
मैने चाहा था क्या और ये क्या हो गया,
तुमने यूं फेर ली मुझसे आंखें सनम बेवफा,
मानो मुझ से कोई बहुत बडा गुनाह हो गया.
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तुझे कितनी शिद्दत से प्यार किया था,
रातों को जागकर तुम्हारा इन्तज़ार किया था,
लेकिन अब होश आ गया है 'प्यारे' को,
कि एक बेवफा से उम्रभर का इकरार किया था.
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ज़िन्दगी इश्क मे तबाह हो गई मेरी,
क्यो ऐसा मनहूस कदम मैने उठाया था,
तडप किसी सूरत दिल की मिटती नही,
उफ! क्यो उस बेवफा को अपना बनाया था.
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खून के आंसू रुलाता है वही मुझको,
कि जिसकी खातिर खूने दिल बहाया था,
ना मुझ से पूछो मेरे गम की दास्तां,
कि मैने हर कदम पर ज़ख्म खाया है
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हवाओ मे घुली हुई वो सदा किसकी थी..
यादे जो सताती थी.. वो तेरे सिवा किसकी थी
आँसुओ से ही सही… भर गया दामन मेरा....
हाथ जिसके लिए मैने उठाए, वो दुआ किसकी थी.??
अकेलेपन की आदत सी हो चली है मुझको अब तो..
मंज़ूर है मुझे ये सज़ा..पर ये तो बता की खता किसकी थी..
कुछ लोग होते है जिनको मर के ही चैन आता है…
मैं वो बदनसीब हू.. ज़िंदगी से ज़्यादा मौत बेवफा जिसकी थी..
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 अपने बेगाने हुए दुशमन जमाना हो गया,
ज़रा सी बात पर रुसवा फसाना हो गया,
मुझे सज़ा के तौर पर मिला काटों का बिस्तर,
उसका अंगन फूलो का अशियाना हो गया.

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निभाया वादा हमने शिकवा न किया,
दर्द सहे मगर तुझे रुसवा न किया,
जल गया नशेमन मेरा, खाक अरमां हुए,
सब तुने किया मगर मैने चर्चा न किया.

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ज़िन्दगी इश्क मे तबाह हो गई मेरी,
क्यो ऐसा मनहूस कदम मैने उठाया था,
तडप किसी सूरत दिल की मिटती नही,
उफ! क्यो उस बेवफा को अपना बनाया था.

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हम फिर बेवफा से रिश्ता बना बैठे,
फिर उनकी सादगी से धोखा खा बैठे,
पत्थरों से ताल्लुकात है अपना,
फिर भी शीशे के घर बना बैठे.
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जख्मी दिल मेरा तोड़ न जाना,
ऐ बेवफा मुझे तू भूल न जाना.


प्यार याद रखना मेरा दूर रहकर भी,
अपना कहना मुझे गैर होकर भी,
चाहे कुछ भी कहे ये जमाना.
हंसता हूँ आज मुझे फिर कभी न रुलाना.
ऐ बेवफा मुझे तू भूल न जाना..


दर्द मेरा जो नजर आये कभी,
मेरी गलियों में न आना ऐ जालिम कभी,
याद करना मेरी वफा का फसाना.
हंसता हूँ आज मुझे फिर कभी न रुलाना.
ऐ बेवफा मुझे तू भूल न जाना..



छोड़ा तूने ,छूटा अपनों से भी,
न समझा किसी ने मेरे सपनों को भी,
अपना कहकर मुझे अब कभी न बहलाना.
हंसता हूँ आज मुझे फिर कभी न रुलाना.
ऐ बेवफा मुझे तू भूल न जाना..

दर्द कैसा भी हो आंख नम न करो

दर्द कैसा भी हो आंख नम न करो

रात काली सही कोई गम न करो

एक सितारा बनो जगमगाते रहो

ज़िन्दगी में सदा मुस्कुराते रहो

बांटनी है अगर बाँट लो हर ख़ुशी

गम न ज़ाहिर करो तुम किसी पर कभी

दिल कि गहराई में गम छुपाते रहो

ज़िन्दगी में सदा मुस्कुराते रहो

अश्क अनमोल है खो न देना कहीं

इनकी हर बूँद है मोतियों से हसीं

इनको हर आंख से तुम चुराते रहो

ज़िन्दगी में सदा मुस्कुराते रहो...

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