ऐ पर्दा नशी पर्दा हटा , मेरी मुहब्बत कबुल कर जलवा दिखा ...
ओ लड़की नकार कर चली जाती थी ..कोई जवाब नहीं देती थी ..लड़का हर रोज लड़ी को देखता था और यही जुमला कहता था ...
ऐ पर्दा नशी पर्दा हटा , मेरी मुहब्बत कबुल कर जलवा दिखा ...
लड़की नकार कर चली जाती थी ...तीसरे दिन लड़की को देखा लड़के ने और फिर कहा .
ऐ पर्दा नशी पर्दा हटा , मेरी मुहब्बत कबुल कर जलवा दिखा ..
अगर तूने जलवा नहीं दिखाया तो मैं खुदखुशी कर लूँगा ..चौथे रोज जब लड़की गली से गुजरी वो मनचला लड़का उसको नहीं दिखा ..लड़की को बहुत दुःख हुवा ... लोगो से पूछा !! कहा हैं ? ...लोगो ने बताया , बेटी वो तो तेरी गम में खुदखुशी कर लिया ..लड़की कब्र पर गई और बोली ..
ऐ मेरे गुमनाम आशिक आई हु तेरी मज़ार पर ..
ले रुख से नकाब हटा दिया जी भर के मेरा दीदार कर ..
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तो उस कब्र में से आवाज आई ..........!!!
या खुद ये कैसा तेरा इंसाफ है ..
आज मैं परदे में हूँ और वो बेनकाब हैं ...