क्यूँ न ए दोस्त हम जुदा हो जाएँ
तू भी हीरे से बन गया पत्थर
हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाएँ
हम भी मजबूरियों का उज़्र करें
फिर कहीं और मुब्तिला हो जाएँ
ज़रा सी बात पर रुसवा फसाना हो गया,
मुझे सज़ा के तौर पर मिला काटों का बिस्तर,
उसका अंगन फूलो का अशियाना हो गया.
दर्द सहे मगर तुझे रुसवा न किया,
जल गया नशेमन मेरा, खाक अरमां हुए,
सब तुने किया मगर मैने चर्चा न किया.
प्यार मे हो गई मेरी जिंदगी बरबाद,
बहुत चाहा मगर किस्मत खराब थी,
दुआ मांगी, न हुआ दिल मेरा शाद.
नाकाम हुए सपने हमारी मुहब्बतों के,
दुनियां ने छिन लिया मुझसे यार मेरा,
मुझे याद आ रहे हैं दिन कुरबतों के.
मेरे दिल की देवी पत्थर हो गयी,
जिसे रात दिन पाने के ख्वाब देखे,
वो बेवफा किसी और की हमसफर हो गई.
मैने चाहा था क्या और ये क्या हो गया,
तुमने यूं फेर ली मुझसे आंखें सनम बेवफा,
मानो मुझ से कोई बहुत बडा गुनाह हो गया.
रातों को जागकर तुम्हारा इन्तज़ार किया था,
लेकिन अब होश आ गया है 'प्यारे' को,
कि एक बेवफा से उम्रभर का इकरार किया था.
क्यो ऐसा मनहूस कदम मैने उठाया था,
तडप किसी सूरत दिल की मिटती नही,
उफ! क्यो उस बेवफा को अपना बनाया था.
कि जिसकी खातिर खूने दिल बहाया था,
ना मुझ से पूछो मेरे गम की दास्तां,
कि मैने हर कदम पर ज़ख्म खाया है
अपने बेगाने हुए दुशमन जमाना हो गया,
ज़रा सी बात पर रुसवा फसाना हो गया,
मुझे सज़ा के तौर पर मिला काटों का बिस्तर,
उसका अंगन फूलो का अशियाना हो गया.
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निभाया वादा हमने शिकवा न किया,
दर्द सहे मगर तुझे रुसवा न किया,
जल गया नशेमन मेरा, खाक अरमां हुए,
सब तुने किया मगर मैने चर्चा न किया.
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ज़िन्दगी इश्क मे तबाह हो गई मेरी,
क्यो ऐसा मनहूस कदम मैने उठाया था,
तडप किसी सूरत दिल की मिटती नही,
उफ! क्यो उस बेवफा को अपना बनाया था.
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हम फिर बेवफा से रिश्ता बना बैठे,
फिर उनकी सादगी से धोखा खा बैठे,
पत्थरों से ताल्लुकात है अपना,
फिर भी शीशे के घर बना बैठे.
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ऐ बेवफा मुझे तू भूल न जाना.
अपना कहना मुझे गैर होकर भी,
चाहे कुछ भी कहे ये जमाना.
हंसता हूँ आज मुझे फिर कभी न रुलाना.
ऐ बेवफा मुझे तू भूल न जाना..
मेरी गलियों में न आना ऐ जालिम कभी,
याद करना मेरी वफा का फसाना.
हंसता हूँ आज मुझे फिर कभी न रुलाना.
ऐ बेवफा मुझे तू भूल न जाना..
न समझा किसी ने मेरे सपनों को भी,
अपना कहकर मुझे अब कभी न बहलाना.
हंसता हूँ आज मुझे फिर कभी न रुलाना.
ऐ बेवफा मुझे तू भूल न जाना..
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