है जिसमें दिन रात,गर्मी सर्दी, सत्य असत्य की लड़ाई |
तूने जो बनाया,मानव माटी का पुतला देखने को खेल
देख उसी ने करके अनाचार,झगडे, झूठे लफड़े, मारकाट मचाई
तू देख उसके कारनामे, उसी ने की तेरी जग हंसाई।
दुनिया बनाने वाले तूने कैसी ये दुनिया बनाई
देख तेरे खिलोने के कारनामे, तुमको भी लाज क्यों नही आई
त्रेता,द्वापर में आया तू खुद, मारे रावण कंस, आततायी
कलियुग के आतताईयों को मारने की कब होगी भरपाई
नजरे घुमाकर तो देख तेरे बंदे ने कैसी है रार मचाई
चारों ओर है हाहाकार,है गोलीबारी.हत्या मारामारी के दंगाई।
दुनिया बनाने वाले तूने कैसी ये दुनिया बनाई,
सत्य के पुजारी,धर्म के आचारी, कहां जायें, अनाचारियों को कुर्सी पकड़ाई
नोट,वोट,झगडे लफड़ों से करते मनभानी, फिर भी न मोंगे उनसे सफाई
इन लादेनों के दिन कब लदेगे, कब मरेगे ये आतताई |
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