उसकी शिकायत करती है कुछ अपना दर्द सुनती है
कुछ रिश्ते नये बनाती एहसास नया दे जाती है
हर एक कली को फूल बाग को गुलशन कर जाती है
चाहत नयी सी होती है अरमान नया दे जाती है
कुछ खुशी के पल कुछ मुस्कान नयी दे जाती है
धरती से सावन की बूंदे मिलने जब भी आती है
उसकी शिकायत करती है कुछ अपना दर्द सुनती है
सूखे खेतो से जब सौंधी सी खुश्बू आती है
सुनी आँखो मे फिर से एक ख्वाब नया दे जाती है
कही प्यार नया होता है कही जुदाई दे जाती है
कही सावन के झूले कही बिरहा के गीत सुनाती है
धरती से सावन की बूंदे मिलने जब भी आती है
उसकी शिकायत करती है कुछ अपना दर्द सुनती है
No comments:
Post a Comment