तुझे मांग कर खुदा से क्या ज्यादा मांग लिया मैंने..
क्या हो गया अगर जिंदगी को ही आजमा लिया मैंने..
लोग कहते है सदियों से के इश्क में रब बसता है..
गुनाह हो गया जो इश्क को ही खुदा मान लिया मैंने..
जब भी माँगा मैंने बस तेरी खुशी की दुआ ही मांगी..
मेरी खुशिया उडा के ले गई आई जो बक्त की आंधी..
सोचा था मागेगे तुझे खुदा के दर पर जा कर कभी..
तुझे खुदा मान के तेरे दर पर ही सर को झुका लिया मैंने..
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प्यार करके तेरी बेवफाई देख ली
जहा की दर्द भरी खुदाई देख ली
तुझे पाना चाहा ये मुम्किन ना था
तुझसे बिछड के ये जुदाई देख ली
दर्द बहुत गहरा है सहा नही जाता
देके तुझे प्यार की दुहाई देख ली
तू खामोश खडी रही मेरा आशियाना उजड गया
तू फिक्र ना कर मैने सपने ही सही
पर इस दुनिया से बिदाई देख ली
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दर्द भरी खुदाईफूलो के सिल गये होते
रंग से जब रंग मिल गये होते
तुम तो आये नही बहारो मे
वरना कांटे भी खिल गये होते
तुम तो गैरो की बात करती हो
हमने तो अपने ही अज़माये है
तुम कांटो से बच के चलती हो
हमने तो फूलो से ज़ख्म खाये है
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दिल को आदत है ज़ख्म खाने की
आंखो को आदत है गम छुपाने की
पर ये भी सच है की
हम जी सकते है आपके बगैर भी
हमे जरूरत नही किसी बहाने की
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हम कर देंगे आपके प्यार को दफन
और ना ही नसीब होगा उसको कफन
हर दुख को कर लेंग़े सहन
पर नही रहेगा आपके प्यार का वहम
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चाहा था जिसको उसे भुलाया ना गया
ज़ख्म इस दिल का लोगो से छुपाया ना गया
बेवफाई के बाद भी इतना प्यार करते है उसे
कि बेवफाई का इल्ज़ाम भी उस पर लगाया ना गया
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गम कुछ इस तरह से हम पे महरबान हो गया
जो करेगा कत्ल वोहि मेरा मेहमान हो गया
मरने के बाद आपका दीदार हो शायद
बस इसलिये मरने का अरमान हो गया
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गम ना कर इस दुनियाँ से
ना कोई किसीका है
दगा वही देता है
हमे जिस पे भरोसा है
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क्यो किये सब वादे जब छोड के जाना ही था
क्यो दिखाये सपने जब तोड के जाना ही था
क्यो जगाई मेरे दिल मे इतनी मोहब्बत
जब इस दिल को तोड के जाना ही था
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कलम उठाई है लफ्ज़ नही मिलता
जिसे ढूंढ रहे वो शक्स नही मिलता
फिरते है वो जमाने के साथ
बस हमारे लिये ही उनको वक्त नही मिलता
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मेरी मोहब्बत पर ऐतबार तो किया होता
किसी और के होने से पहले मेरा इन्तेज़ार तो किया होता
उल्फत भरी नज़रो से एक बार देखा तो होता
मेरे ज़ख्मो पर कभी एक बार मर्हम तो लगाया होता
बेवफा हमे कहने से पहले
एक बार अज़मा-ए-वफा तो किया होता
सब कुछ भूल कर हर रिश्ता तोड कर
एक बार तहे दिल से मेरे दिल पर हाथ तो रखा होता
बेवफा कहने से पहले
आहद-ए-वफा तो किया होता
दिल-ए-नश-ए-मन मे जो आग लगाई थी तुमने
एक बार उसे बुझाया तो होता
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