जब मैं छोटा था

जब मैं छोटा था, शायद दुनिया बहुत बड़ी हुआ करती थी..
मुझे याद है मेरे घर से “स्कूल” तक का वो रास्ता, क्या क्या नहीं था
वहां, चाट के ठेले, जलेबी की दुकान, बर्फ के गोले, सब कुछ,

अब वहां “मोबाइल शॉप”, “विडियो पार्लर” हैं, फिर भी सब सूना है..
शायद अब दुनिया सिमट रही है…
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जब मैं छोटा था, शायद शामे बहुत लम्बी हुआ करती थी.
मैं हाथ में पतंग की डोर पकडे, घंटो उडा करता था, वो लम्बी “साइकिल रेस”,
वो बचपन के खेल, वो हर शाम थक के चूर हो जाना,

अब शाम नहीं होती, दिन ढलता है और सीधे रात हो जाती है.
शायद वक्त सिमट रहा है..
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जब मैं छोटा था, शायद दोस्ती बहुत गहरी हुआ करती थी,
दिन भर वो हुज़ोम बनाकर खेलना, वो दोस्तों के घर का खाना, वो लड़कियों की
बातें, वो साथ रोना, अब भी मेरे कई दोस्त हैं,

पर दोस्ती जाने कहाँ है, जब भी “ट्रेफिक सिग्नल” पे मिलते हैं “हाई” करते
हैं, और अपने अपने रास्ते चल देते हैं,

होली, दिवाली, जन्मदिन , नए साल पर बस SMS आ जाते हैं
शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं..

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जब मैं छोटा था, तब खेल भी अजीब हुआ करते थे,
छुपन छुपाई, लंगडी टांग, पोषम पा, कट थे केक, टिप्पी टीपी टाप.
अब इन्टरनेट, ऑफिस, हिल्म्स, से फुर्सत ही नहीं मिलती..

शायद ज़िन्दगी बदल रही है.
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जिंदगी का सबसे बड़ा सच यही है.. जो अक्सर कबरिस्तान के बाहर बोर्ड पर लिखा होता है.
“मंजिल तो यही थी, बस जिंदगी गुज़र गयी मेरी यहाँ आते आते “
.
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जिंदगी का लम्हा बहुत छोटा सा है.
कल की कोई बुनियाद नहीं है
और आने वाला कल सिर्फ सपने मैं ही हैं.
अब बच गए इस पल मैं..
तमन्नाओ से भरे इस जिंदगी मैं हम सिर्फ भाग रहे हैं..
इस जिंदगी को जियो न की काटो

कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ

कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ

या दिल का सारा प्यार लिखूँ

कुछ अपनो के ज़ाज़बात लिखू या सापनो की सौगात लिखूँ ॰॰॰॰॰॰

मै खिलता सुरज आज लिखू या चेहरा चाँद गुलाब लिखूँ ॰॰॰॰॰॰

वो डूबते सुरज को देखूँ या उगते फूल की सान्स लिखूँ

वो पल मे बीते साल लिखू या सादियो लम्बी रात लिखूँ

मै तुमको अपने पास लिखू या दूरी का ऐहसास लिखूँ

मै अन्धे के दिन मै झाँकू या आँन्खो की मै रात लिखूँ

मीरा की पायल को सुन लुँ या गौतम की मुस्कान लिखूँ

बचपन मे बच्चौ से खेलूँ या जीवन की ढलती शाम लिखूँ

सागर सा गहरा हो जाॐ या अम्बर का विस्तार लिखूँ

वो पहली -पाहली प्यास लिखूँ या निश्छल पहला प्यार लिखूँ

सावन कि बारिश मेँ भीगूँ या आन्खो की मै बरसात लिखूँ

गीता का अॅजुन हो जाॐ या लकां रावन राम लिखूँ॰॰॰॰॰

मै हिन्दू मुस्लिम हो जाॐ या बेबस ईन्सान लिखूँ॰॰॰॰॰

मै ऎक ही मजहब को जी लुँ ॰॰॰या मजहब की आन्खे चार लिखूँ॰॰॰

कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ

या दिल का सारा प्यार लिखूँ
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ओह !!कहा गया हमारा वो बचपन

पहले मै इस बात को कभी इतने दिल से महसूस नहीं करता था , पर आज दिल्ली जैसे महानगर की भागदौड़ वाली ज़िन्दगी में आकर इस बात को कहने को मजबूर हो गया हूँ ….. वो गाँव की सुकून भरी ज़िन्दगी ……उफ़ उन पलो को याद करते ही कितनी ख़ुशी मिल रही है … …………लेकिन दिल में आज भी गाँव में बिताये हुए दिनों की याद ताज़ा है ……….……वो रातो में दिए के उजाले में रहना …वो मंद मंद मुस्काती रौशनी …………और …..फिर वो चाहे गर्मी की जलती हुई दोपहर ही क्यों न हो हर वक़्त बस खेलना घूमना ………..और खाना ………..क्या गर्मी क्या धुप कोई भी बात हमारे खेल कूद में अंकुश नहीं लगा पाती थी…हमारा गाँव का घर बहुत बड़ा है ………और उसका आँगन और भी बड़ा …..आँगन के बीच में छोटा सा मंदीर बना हुआ है और उसी मंदीर से सटा हुआ तुलसी का पेड़ ……….उस तुलसी की पत्तिया आज भी मन में बसी हुई है ………उस वक़्त गाँव में न तो कूलर न ही ए. सी., रात को आँगन में एक लाइन से चारपाई लग जाती थी और वहीँ पर सारे लोग सोते थे …….. फिर रात के आठ बजते ही हम सारे बच्चे चारपाई में नानी को घेर लेते थे फिर वो हमें या तो कहानी सुनाया करती थी या फिर पहेलियाँ बूझा करती थी , कभी अपने जमाने की बाते भी बताने लगती थी ………और मेरे बाबा कभी कभी चुड़ैल और भूतो की कहानी कह कर हमें डराने लगते थे ,जिसे वो सत्य घटना बताया करते थे , जैसे की फलां आम के पेड़ में चुडेल है बगीचे के बरगद के पेड़ में चुडेल रहती है , वगैरह वगैरह ……..ये सब सुनते सुनते रात हम सो जाते थे . और फिर चिडियों की चहचाहाहट से नींद खुलती थी लेकिन फिर भी उठते नहीं थे जब तक नानी चिल्ला चिल्ला कर थक नहीं जाती थी ….फिर आंगन के हैण्ड पम्प में जाकर मंजन होता था लाल दन्त मंजन ……..दादी और दादा तो नीम की दातौन करती है जिसकी वजह से आज भी उनके दांत सही है और हमें हर छः महीने में दातो के डाक्टर के पास जाना पड़ता है…….उसके बाद हम लोग बतियाते हुए दुआरे(घर के बाहर) बैठे रहते थे , ……….,और फिर दादी या मम्मी कुछ खाने के लिए देती थी .………और उसके बाद मंदिर के उत्तर वाले बागीचे में पहुँच जाते थे आम खाने……गाँव के घर में कई कमरों के नाम दिशाओं के हिसाब से बोले जाते थे जैसे दक्षिण दिशा में दो कमरे थे जिनमे अनाज वगैरह रखा जाता था उसे दक्खिन घर और एक पश्चिम घर था जिसमे मम्मा(दादी) घी, दूध,मट्ठा, अचार, और मिठाई वगैरह रखती थी पर उसमे जाने की मनाही थी वो ही निकाल के दे सकती थी किसी को भी इजाज़त नहीं थी उनके पश्चिम घर में जाने की……….इन कमरों के बारे में बताते बताते मुख्य बात तो रह गयी …आमो की बात …..उफ़ वो रसीले मीठे आम ….और सबसे बड़ी बात, कितने सारे आम कितने भी खाओ कोई गिनती नहीं, कोई चिंता नहीं….. ……सुबह भी आम खाते थे फिर पूरी दोपहर आम खाते थे . ….एक बार में चार पांच आम तो खा ही लेते थे …..अब वो आम खाने में कहाँ मज़ा आता है एक तो इतने महंगे है आम ……और फिर कैसे भी करके खरीदो तो वो गाँव के आमो जैसा स्वाद उनमे कहाँ आता है …….और अमावट जिसे शहर की भाषा में आम पापड कहते है उसका स्वाद भी कहाँ दुकानों से ख़रीदे आम पापड़ में आता है ……… इन दुकानों की चका चौंध में दिखावे में हर चीज़ का स्वाद गुम होता जा रहा है……बस दिखाई देता है चमकते हुए कागजों में बंद सामान जिसमे सब कुछ बनावटी …स्वाद भी ………… हमने तो फिर भी कुछ असली चीजों का स्वाद चखा है ……लेकिन हमसे आगे आने वाली पीढ़ी तो पिज्जा बर्गर में ही गुम होकर रह जाएगी क्या उन्हें कभी हमारी देसी चीजों का स्वाद पता चल जाएगा ……….फिशर प्राइज़ के खिलोने क्या कभी अपने खुद के हाथो से बने मीट्टी के खिलोनो का मुकाबला कर पायेंगे …………जिस गाय के गोबर से हमारे गाँव के घरो को लिपा जाता था उसी गाय के गोबर को देखते ही आज की पीढ़ी मुह बना कर नाक बंद कर लेती है….. हम लोग निम् के पेड़ की सबसे ऊँची डाल पर झूला बाँध कर झूलते थे, गाँव के तालाब के किनारे और खेतो में दौड़ दौड़ कर जो खेल खेला करते थे उन खेलो का, बंद कमरों में बैठ कर कम्पूटर के सामने खेले जाने वाले खेलो से क्या कोई मुकाबला है …….पर क्या इसमें आज की पीढ़ी की गलती है नहीं इसमें गलती तो हमारी है ……….उनकी छुट्टिया होते ही हम उन्हें समर कैंप में भेज देते है या फिर किसी हिल स्टेशन में घुमाने लेकर चले जाते है ……….क्योंकि अब हम खुद ही बिना सुविधाओं के नहीं रह पाते है ……… …….जबकि गाँव जाकर हम वो सीख सकते है जो हमें कोई समर केम्प नहीं सीखा सकता ………….. सादगी, भोलापन , बड़ो का सम्मान, अपनों से प्यार, प्रकृति से लगाव ये सब हम वहाँ से सीख सकते है……….गाँव में बीताये हुए वो बचपन की यादे अभी भी मेरे ज़ेहन में यं ताज़ा है जैसे कल ही की बात हो ………चूल्हे में बने हुए खाने का स्वाद , वो कुँए का मीठा पानी सब कुछ मन में बसा हुआ है ………..


आज भी जब जगजीत सिंह की इस ग़ज़ल को सुनता हूँ तो आँखे नम हो जाती है …..“ये दौलत भी ले लो ये शोहरत भी ले लो, भले छिन लो मुझसे मेरी जवानी, मगर मुझको लुटा दो वो बचपन का सावन, वो कागज़ की कश्ती वो बारिश का पानी……….कड़ी धुप में अपने घर से निकलना, वो चिड़िया वो बुलबुल वो तितली पकड़ना, वो गुडिया की शादी में लड़ना झगड़ना, वो झूलो से गिरना वो गिर कर संभलना, ना दुनिया का ग़म था न रिश्तों का बंधन, बड़ी खूबसूरत थी वो जिंदगानी…….. सच बड़ी खूबसूरत थी वो जिंदगानी

यदि ऐसे लक्षण है तो समझो आपको प्यार हो गया है

  1. अचानक आपका संगीत का टेस्ट बदल गया हो, विरह गीत से आप सीधे सीधे डुएट पर उतर आए हो।
  2. आपको माँ के हाथ की बनी रोटियों मे भी उसका चेहरा नज़र आता हो।
  3. रात करवटें बदल बदल कर कटती हो।
  4. सारा दिन उसके ख्यालों मे बीतता हो।
  5. जब घर वाले कहने लगे, आप ऊंचा सुनने लगे हो।
  6. जब आप उसके घर पर बार बार फोन करके काटने मे पारंगत हो चुके हो।
  7. मोबाइल का बिल दस गुना बढ गया हो।
  8. आप इंटरनैट पर प्यार मोहब्बत वाले एसएमएस ढूंढने लगे हो।
  9. बॉस की डॉट का भी बुरा नही लगता हो।
  10. घर से कंही भी जाने के रास्ते महबूब की गली से होकर गुजरते हो।
  11. जब जिंदगी बहुत खूबसूरत लगने लगे।
  12. बार बार आईना देखने का मन करता हो….
  13. टीवी पर आने वाले हर प्रोग्राम मे नायिका का चेहरे मे आप अपने प्रियतमा का ही चेहरा नज़र आता हो।
  14. उर्दू समझ मे ना आने के बावजूद, गज़लें बहुत पसन्द आने लगी हो।
  15. आप बार बार ये सोचने लगे, कि ये पहले क्यों नही मिली (अगर बाद मे खुदा ना खास्ता शादी हो गयी, तो भी वैसा ही सोचोगे, बस "नही " शब्द हट जाएगा।)
  16. जब पाँच बजे का मिलने का वक्त तय हो, तो आप 1 बजे ही मिलन घटनास्थल पर पाए जाएं।
  17. घर से आप पूरा होमवर्क (स्क्रिप्ट,स्टाइल, शेरो शायरी याद करना) करके चले हो, लेकिन उसके सामने बोलती बंद हो जाए।
  18. जब आप उसके नाम के पहले अक्षर की अंगुठियों के डिजाइन देखना/पसंद करना शुरु कर दें।
  19. बार बार कल्पना करने लगते हो, कि काश! इस दुनिया मे सिर्फ़ वो और आप हो….बाकी कोई नही।
  20. माशूका के घरवाले आपके लिए कभी ईश्वर तो कभी, यमदूत की तरह दिखने लगते हो।
  21. गणित के सवाल हल करते समय, अक्सर शून्य मे उसका चेहरा दिखने पर, अटक जाते हो।
  22. जब उसके नाम और अपने नाम मे आप समानता ढूंढने लगते हो।
  23. उसके धर्मस्थलों पर आपके विजिट बढ जाते हो।
  24. जब आप चैट वाले साफ़्टवेयर मे नया आईडी( जो सिर्फ़ उसको पता हो) बनाकर लागिन करते हो। और घंटो उसका इंतजार करते हो।
  25. दिन मे सैकड़ों बार उसके नाम को गूगल करते हो।
  26. किसी और का फोन मिलाते मिलाते, उसका मोबाइल मिला दें।
  27. आपके बिजनैस प्रेजेन्टेशन मे उसका नाम बेसाख्ता जुबान पर आ जाए।
  28. उसने नाम या शक्ल मिलने वाली हिरोइनों की सारी फिल्मों की डीवीडी (भले ही आर्ट मूवी हो) आप खरीद लाएं।
  29. उसकी पसंद के रंग के कपड़े आपको पसंद आने लगे।
  30. अपनी पसंद को नज़रअंदाज करके, आप उसकी पसंदीदा ब्रांड/बैंड/फूल/किताब/फिल्म/नाटक/गीत/संगीत पर अपने पैसे फूंकने लगे हो।
  31. अक्सर उसका जिक्र आने पर आपका चेहरा गुलाबी हो जाए।
  32. जहाँ जहाँ उसका आना-जाना हो, उन जगहों पर आप अक्सर अपना डेरा जमाने लगे।
  33. उसके अलावा बाकी लड़कियां (भले ही मल्लिका शेरावत टाइप की दिखें) आपको बेकार दिखने लगे।
  34. ईश्वर मे आस्था बढ जाए। मंदिरो/मजारों पर आना जाना बढ जाए।
  35. आप मन्नतों के धागे बांधने शुरु कर दें।
  36. आप दोस्तों से झूठ बोलने लगे

पायल

गुलशन-गुलशन फूल खिले हैं,
पर फूलों में महकार नहीं।
जैसे गोरी के पाँव में पायल है,
पर पायल में झंकार नहीं।

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पायल थी या की हवा की सनसनाहट थी
हवा जो लहराई तो में समझा बाला की मुस्कुराहट थी
छबीली इस तरह लहराकर गुजरी करीब से मेरे,
जैसे कानो में कुछ गुनगुनाकर छिप गयी सखी मेरी,
सोचने लगा में, हवा थी या थी कल्पना मेरी

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मन सागर में जाने कब आये कब गुजरे ख्यालों के लहर,
ना पायल, ना गंद था कोई , था बस एक लम्बा सफ़र…
जैसे नर्तकी कोई खो गयी जगाकर राग मन में मेरे,
और खोजता रहा में, जैसे खो गयी सारी निधियाँ मेरी,
सोचता रहा में हवा थी या थी कल्पना मेरी

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धडकनों को ना पुछो की तुम क्यों धडकती हो
चिरागों को न पुछो तुम क्यों सुलगते हो
फूल को ना पुछो तुम क्यों महकते हो
सवाल ना करो मेरे यारो
क्यों आशिकों को परखते हो
पायल क्यों छनकती है
बुलबुल क्यों चहकती है
हवा का झोंका ना हो तो भी
चिलमन क्यों लहराती है
महसूस करो इनको मेरे यारो
क्यों लब्ज पे अटकते हो
हीना कब रंग लती है
कली कब फूल बन जाती है
शायरी कब बन जाती है
जवाब ना मांगो मेरे यारो
मोहब्बत सब सिखाती है
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यूँ अगर होता के तुम पास होते
तो हम सितारों से ना बाते करते
अगर जिन्दगी में तुम्हारी आँखों के साए रहते
तो हम तपती धुप में यूँ जल ना जाते
अगर हमारे आंसू पोछने तुम्हारे हात ना आते
अश्क हमारे सागर बन जाते
इस पागल दिल को ये सवाल ना रहते
अगर जवाब हमारा तुम बन जाते
अगर गज़ल ही हमारी तुम बन जाते
शायरी के लिए ये खून के कतरे यूँ जाया ना जाते
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तुम इस मोड़ पे मुझसे मिले की जहाँ आगे रास्ता नहीं था
हाथ बढाया था तुने मगर तब मेरा साथ ही नहीं था
तड़पता रहा मई पानी के बिना मगर वहां कोई नहीं था
तुमने सागर बहाया मगर मेरी साँसों में तब दम ही नहीं था
लौट रही थी मन की मौजे मन के समुंदर में जब साहिल ही नहीं था
अब साहिल इन्तजार करता है रात दिन जब दरया में पानी ही नहीं था
मेरी ख़राशे घाव बन गए तब दवा लगाने कोई नहीं था
तुम मरहम लेके आ गए जब घाव क्या मै ही नहीं था
अब न बहाओ आसुंओ को मै आज नहीं कल था
पर सुनना लोगों से कभी किस्सों में ... तुम्हारा भी आशिक हुआ करता था
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तेरी पायल की रुनझुन
दिल में हलचल कराती है
दिल में मीठे सुर सज़ाती है
दिल से गीत सुनाती है
दिल को महफ़िल बनाती है
तेरी पायल की ये रुनझुन |
दिल में तेरी याद लाती है
दिल से तुझे बुलाती है
दिल के मिलन को तरसाती है
दिल से तुझे अपना मीत बनाती है
तेरी पायल की ये रुनझुन |
दिल में दीप जलाती है
दिल की राहे रौशन कराती है
दिल को अपनी लौ से पिघलाती है
दिल में प्रीत जगमगाती है
तेरी पायल की ये रुनझुन |
पास हो तुम सदा मेरे , ये एहसास कराती है
तेरी पायल की ये रुनझुन,कई हसरते जगाती है |
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कैसे बताऊँ मैं तुम्हे की तुम मेरे लिए कौन हो,
तुम धडकनों का गीत हो, तुम जीवन की संगीत हो
तू जिंदगी, तू बंदगी, तू रौशनी तू ताजगी
तू हर खुसी,
तू प्यार है, तू प्रीत है, मनमीत है
तू सुबह में, तू शाम में, तू सोच में तू काम में,
मेरे लिए हसना भी तुम, मेरे लिए रोना भी तुम,
मेरे लिए जगाना भी तुम, मेरे लिए सोना भी तुम,
और पाना खोना भी तुम
कैसे बताऊँ मैं तुम्हे की तुम मेरे लिए कौन हो
चन्दन सा तरसा है ये बदन, जिससे बहती है एक अगन
ये शोखियाँ ये मस्तियाँ तुम्हे हवाओं से मिली,
जुल्फें घटाओं से मिली,
आँखों को चिले मिल गए, होंठों पे कालियां खिल गयी
ये हांथो की गोलाईयन, ये आँचल की परछाइयां
जैसे हज़ारों तितलियाँ
ये नगरियाँ है ख्वाब की
कैसे बताऊँ मैं तुझे हालत दिले बेताब की
कैसे बताऊँ ...................
कैसे बताऊँ मैं तुझे
कैसे बताऊँ की तुम मेरे लिए धर्मं हो
इबादत हो मेरी, तुम ही तो चाहत हो मेरी
मैं ताकता जिसे हर पल हूँ तुम ही तो वो तस्वीर हो
तुम ही तो मेरी तकदीर हो
तू पूरब में, तू पश्चिम में, तू उत्तर में, तू दक्षिण में
मेरे लिए तो रास्ता भी तुम, मेरे लिए मंजिल भी तुम,
मेरे लिए सागर भी तुम, मेरे लिए साहिल भी तुम
तुम्ही तो मेरी पहचान हो
देवी हो मेरे लिए, मेरे लिए भगवान् हो
पूजा हो तुम मेरे लिए, मेरे लिए अजान हो
गीता हो तुम मेरे लिए, मेरे लिए कुरआन हो
कैसे बताऊँ मैं तुम्हे.......
कैसे बताऊँ.....
कैसे बताऊँ की....
की तुम बिन मैं कुछ भी नहीं।
======================================
उनकी हर आहट में पायल की छम छम
उनकी हर बातो में ये संगीत की सरगम .
ऐ सनम अब तो एक ही आरजू है मेरी ,
की तू हमें मिलते रहना हरपाल हरदम .
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नज़रों के खुमार का मज़ा हम से पूछिए
पायल की झंकार का मज़ा हम से पूछिए
झारोंकों से दीदार का मज़ा हम से पूछिए
छिप छिप के प्यार का मज़ा हम से पूछिए
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आपने किसी से प्यार किया हो और उनका इंतजार न किया ऐसा हो ही नहीं सकता। दरअसल प्यार और इंतजार एक-दूसरे से उसी तरह जुडें हैं, जिस तरह फूल और खुशबू।



कभी-कभी इंतजार करना बहुत दुश्वार हो जाता है। जैसे आप आँखें बिछाए उनका इंतजार कर रहे हैं और उनका फोन आता है कि अभी उन्हें आने में कुछ वक्त और लगेगा तो आपके लिए ये लम्हा बहुत ही फ्रस्टेट कर देने वाला होता है। ऐसे में आप गुस्सा होने के बजाए अगर उस वक्त का सही उपयोग करें तो आप अपनी लाइफ में रोमांस बढ़ा सकते हैं। यहाँ हम आपको बता रहे हैं कि उनका इंतजार कैसे किया जाए और इंतजार के हर लम्हें को खुशगवार कैसे बनाया जाए।



इंतजार का अपना ही एक मजा है, लेकिन कुछ लोग जरूर इसे बोर मानते हैं और अपने साथी से शिकायत करते हैं कि उन्हें इंतजार न करवाएँ। लेकिन जनाब जरा सोचिए कि आपके इंतजार करने के बाद जब वो आपसे मिलने आते हैं तो बेकरारी और मिलन का मजा भी तो दोगुना हो जाता है। जितना लंबा इंतजार उतना ज्यादा मिलन का सुखद एहसास, सौदा बुरा नहीं है। इंतजार करने के एवज में आप उन्हें प्यारी सी सजा भी दे सकते हैं।



अब रहा सवाल कि उनके इंतजार में वक्त कैसे गुजारा जाए, तो साथियों इसका सबसे अच्छा तरीका है कि जब तक वो न आएँ तब तक आप सोच सकते हैं कि होने वाली मुलाकात को कैसे यादगार बनाएँ और उनके आने पर आप सबसे पहले क्या करेंगे। साथ ही आप इंतजार की कीमत भी सोच सकते हैं, जो उनके आने पर वसूली जा सकती है। इसके अलावा आप इंतजार पर कुछ शेर पढ़ सकते हैं, जो कभी-कभी इम्प्रेशन मारने में तो काम आ सकते हैं। इसी बहाने आपको कुछ शेर-शायरी का भी अभ्यास हो जाएगा जो प्यार में बहुत एहमियत रखती है। अगर आप थोड़े क्रिएटिव हैं तो उनकी तारीफ में कोई गजल या कविता लिख सकते हैं, जो उनके लिए एक अनमोल तोहफा होगा।



जब आप किसी से प्यार करते हैं, तो उनके साथ ख्यालों की दुनिया तो जरूर सजाते होंगे। यानी उनका इंतजार करते हुए आप अपनी कल्पनाओं को साकार करने के बारे में सोच सकते हैं, जिसे आपके वो सुनकर निश्चित ही रोमांचित होंगे और आपको मिल सकेगा रोमांटिक होने का एक और बहाना।



तो जनाब इंतजार के फायदे भी हैं, लेकिन इसका मतलब ये भी नहीं कि आप उन्हें इतना इंतजार करवाएँ जिससे वे नाराज ही हो जाएँ। उनकी नाराजगी का ख्याल रखते हुए इंतजार के इन महत्वपूर्ण टिप्स पर अमल कीजिए तो आप को लगेगा की आपकी रोमांटिक लाइफ उनके इंतजार में और भी रोमांटिक हो गई है।
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साज़ हो तुम आवाज़ हूँ मैं, तुम बीना हो मैं हूँ तार
रोक सको तो रोक लो अपनी, पायल की झंकार
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तेरी आंखो की शरारतो को
किस तरह ब्यान करुं
तेरी होठो की मुस्कुराहटो को
कैसे बांधू मै शब्दो मे
तेरी जुल्फ़ें क्या कहती है उड-उड
किस तरह बताऊं मै
तेरी पायल की झंकार
किस तरह गुनगुनाऊ मै
तेरी चुडियां क्या करती है बातें
किस तरह समझाऊं मै
तेरी मुहब्बत को किस तरह
शब्दो मे दिखाऊं मै
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गीत उसके फिजाओं में हैं आज तक
है महक ज़र्रे ज़र्रे में उसकी बसी
उसकी पायल की झंकार जब से सुनी
हम वो झंकार अब तक भुला न सके
हमने देखा उन्हें चांदनी रात में
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वो पायल की झंकार और उसकी चूड़ियों का खनखनाना,
चाल में मस्ती और उसका आँचल को लहराना,
सुनकर मेरी बातों को उसका हौले से मुस्कुराना,
मेरी हंसी मैं ढूँढना खुशी और मेरी उदासी मैं उदास हो जाना,
जो लगे चोट मुझे तोः रो-रो के उसका बेहाल हो जाना,
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फूल उम्मीदों के खिल ही जायेंगे,
हम एक रोज मिल ही जायेगे.
कौन रोकेगा सागर की मौजों को,
तूफ़ान उठेगे तो किनारे हिल ही जायेगे.
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पायल से पायल की झंकार सुन्दर है,
प्यार से प्यार का अनुभव सुन्दर है.
लोग कहते है आप सुन्दर है,
लेकिन आपसे ज्यादा आपका स्वाभाव सुन्दर है..!
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आज मानो, डाल चुकी पतझड़ डेरा इस दिल पर पूरी तरह,
क्योंकि बसंत बनकर दिल का फ़ूल खिलाने वाली तुं ही थी,
आज अक्सर हर झंकार में ढूंढता हूँ अब तुझे मैं,
क्योंकि हर सुबह पायल की झंकार सुनाने वाली तुं ही थी,
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उम्मीदों की किरने लाये
ज्यों झिलमिल हों चाँद-सितारे
पायल की झंकारों में है
गीत और संगीत हमारे
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चूड़ियों की है खनक अब भी मेरे कानों में ,
पायलों की यहाँ रुनझुन दरो-दीवारों में ,
कोई शिकवा नहीं तुम से मगर है ग़म ये ही ,
एक झूठी ही मुहब्बत तो जता कर जाते 
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मुझको मिले तुझको मिले दोनो को ही मिला,
दिवानगी तेरी ने मुझे शायर बना दिया...
मुझको नहीं मालूम की होता हैं प्यार क्या,
दिल में खनक उठी और तुझे पायल  बना दिया.
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खनक हो उनके चूड़ी की
और पायल की झंकार हो
आँख खुले जब सुबह सुबह
तो बस उनका ही  दीदार हो.
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मत खनको बेरी कंगना,पायल
तुम्हारी खनक भी अब बिल्कुल ना सुहाये
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आजकल दिल में आई एक  तनहाई है ! मन कही भी नहीं लगता है अजीब -सी बेचेनी रहती है ! सपनो में जिसे देखा है उसका ही इंतजार रहता है ! पायल  की खनक ही सुनाई देती है ! पर भाग्य की लेखनी में क्या लिखा है , इसको अभी देखना बाकी है ! मेरे सूनेपन का कौन साझीदार होगा, कौन मेरा राजदार होगा ????
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दर्द कैसा भी हो आंख नम न करो

दर्द कैसा भी हो आंख नम न करो

रात काली सही कोई गम न करो

एक सितारा बनो जगमगाते रहो

ज़िन्दगी में सदा मुस्कुराते रहो

बांटनी है अगर बाँट लो हर ख़ुशी

गम न ज़ाहिर करो तुम किसी पर कभी

दिल कि गहराई में गम छुपाते रहो

ज़िन्दगी में सदा मुस्कुराते रहो

अश्क अनमोल है खो न देना कहीं

इनकी हर बूँद है मोतियों से हसीं

इनको हर आंख से तुम चुराते रहो

ज़िन्दगी में सदा मुस्कुराते रहो...

vedprakashseo@gmail.com


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