जब मैं छोटा था
मुझे याद है मेरे घर से “स्कूल” तक का वो रास्ता, क्या क्या नहीं था
वहां, चाट के ठेले, जलेबी की दुकान, बर्फ के गोले, सब कुछ,
अब वहां “मोबाइल शॉप”, “विडियो पार्लर” हैं, फिर भी सब सूना है..
शायद अब दुनिया सिमट रही है…
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जब मैं छोटा था, शायद शामे बहुत लम्बी हुआ करती थी.
मैं हाथ में पतंग की डोर पकडे, घंटो उडा करता था, वो लम्बी “साइकिल रेस”,
वो बचपन के खेल, वो हर शाम थक के चूर हो जाना,
अब शाम नहीं होती, दिन ढलता है और सीधे रात हो जाती है.
शायद वक्त सिमट रहा है..
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जब मैं छोटा था, शायद दोस्ती बहुत गहरी हुआ करती थी,
दिन भर वो हुज़ोम बनाकर खेलना, वो दोस्तों के घर का खाना, वो लड़कियों की
बातें, वो साथ रोना, अब भी मेरे कई दोस्त हैं,
पर दोस्ती जाने कहाँ है, जब भी “ट्रेफिक सिग्नल” पे मिलते हैं “हाई” करते
हैं, और अपने अपने रास्ते चल देते हैं,
होली, दिवाली, जन्मदिन , नए साल पर बस SMS आ जाते हैं
शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं..
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जब मैं छोटा था, तब खेल भी अजीब हुआ करते थे,
छुपन छुपाई, लंगडी टांग, पोषम पा, कट थे केक, टिप्पी टीपी टाप.
अब इन्टरनेट, ऑफिस, हिल्म्स, से फुर्सत ही नहीं मिलती..
शायद ज़िन्दगी बदल रही है.
.
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जिंदगी का सबसे बड़ा सच यही है.. जो अक्सर कबरिस्तान के बाहर बोर्ड पर लिखा होता है.
“मंजिल तो यही थी, बस जिंदगी गुज़र गयी मेरी यहाँ आते आते “
.
.
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जिंदगी का लम्हा बहुत छोटा सा है.
कल की कोई बुनियाद नहीं है
और आने वाला कल सिर्फ सपने मैं ही हैं.
अब बच गए इस पल मैं..
तमन्नाओ से भरे इस जिंदगी मैं हम सिर्फ भाग रहे हैं..
इस जिंदगी को जियो न की काटो
कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ
या दिल का सारा प्यार लिखूँ
कुछ अपनो के ज़ाज़बात लिखू या सापनो की सौगात लिखूँ ॰॰॰॰॰॰
मै खिलता सुरज आज लिखू या चेहरा चाँद गुलाब लिखूँ ॰॰॰॰॰॰
वो डूबते सुरज को देखूँ या उगते फूल की सान्स लिखूँ
वो पल मे बीते साल लिखू या सादियो लम्बी रात लिखूँ
मै तुमको अपने पास लिखू या दूरी का ऐहसास लिखूँ
मै अन्धे के दिन मै झाँकू या आँन्खो की मै रात लिखूँ
मीरा की पायल को सुन लुँ या गौतम की मुस्कान लिखूँ
बचपन मे बच्चौ से खेलूँ या जीवन की ढलती शाम लिखूँ
सागर सा गहरा हो जाॐ या अम्बर का विस्तार लिखूँ
वो पहली -पाहली प्यास लिखूँ या निश्छल पहला प्यार लिखूँ
सावन कि बारिश मेँ भीगूँ या आन्खो की मै बरसात लिखूँ
गीता का अॅजुन हो जाॐ या लकां रावन राम लिखूँ॰॰॰॰॰
मै हिन्दू मुस्लिम हो जाॐ या बेबस ईन्सान लिखूँ॰॰॰॰॰
मै ऎक ही मजहब को जी लुँ ॰॰॰या मजहब की आन्खे चार लिखूँ॰॰॰
कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ
या दिल का सारा प्यार लिखूँ
ओह !!कहा गया हमारा वो बचपन
पहले मै इस बात को कभी इतने दिल से महसूस नहीं करता था , पर आज दिल्ली जैसे महानगर की भागदौड़ वाली ज़िन्दगी में आकर इस बात को कहने को मजबूर हो गया हूँ ….. वो गाँव की सुकून भरी ज़िन्दगी ……उफ़ उन पलो को याद करते ही कितनी ख़ुशी मिल रही है … …………लेकिन दिल में आज भी गाँव में बिताये हुए दिनों की याद ताज़ा है ……….……वो रातो में दिए के उजाले में रहना …वो मंद मंद मुस्काती रौशनी …………और …..फिर वो चाहे गर्मी की जलती हुई दोपहर ही क्यों न हो हर वक़्त बस खेलना घूमना ………..और खाना ………..क्या गर्मी क्या धुप कोई भी बात हमारे खेल कूद में अंकुश नहीं लगा पाती थी…हमारा गाँव का घर बहुत बड़ा है ………और उसका आँगन और भी बड़ा …..आँगन के बीच में छोटा सा मंदीर बना हुआ है और उसी मंदीर से सटा हुआ तुलसी का पेड़ ……….उस तुलसी की पत्तिया आज भी मन में बसी हुई है ………उस वक़्त गाँव में न तो कूलर न ही ए. सी., रात को आँगन में एक लाइन से चारपाई लग जाती थी और वहीँ पर सारे लोग सोते थे …….. फिर रात के आठ बजते ही हम सारे बच्चे चारपाई में नानी को घेर लेते थे फिर वो हमें या तो कहानी सुनाया करती थी या फिर पहेलियाँ बूझा करती थी , कभी अपने जमाने की बाते भी बताने लगती थी ………और मेरे बाबा कभी कभी चुड़ैल और भूतो की कहानी कह कर हमें डराने लगते थे ,जिसे वो सत्य घटना बताया करते थे , जैसे की फलां आम के पेड़ में चुडेल है बगीचे के बरगद के पेड़ में चुडेल रहती है , वगैरह वगैरह ……..ये सब सुनते सुनते रात हम सो जाते थे . और फिर चिडियों की चहचाहाहट से नींद खुलती थी लेकिन फिर भी उठते नहीं थे जब तक नानी चिल्ला चिल्ला कर थक नहीं जाती थी ….फिर आंगन के हैण्ड पम्प में जाकर मंजन होता था लाल दन्त मंजन ……..दादी और दादा तो नीम की दातौन करती है जिसकी वजह से आज भी उनके दांत सही है और हमें हर छः महीने में दातो के डाक्टर के पास जाना पड़ता है…….उसके बाद हम लोग बतियाते हुए दुआरे(घर के बाहर) बैठे रहते थे , ……….,और फिर दादी या मम्मी कुछ खाने के लिए देती थी .………और उसके बाद मंदिर के उत्तर वाले बागीचे में पहुँच जाते थे आम खाने……गाँव के घर में कई कमरों के नाम दिशाओं के हिसाब से बोले जाते थे जैसे दक्षिण दिशा में दो कमरे थे जिनमे अनाज वगैरह रखा जाता था उसे दक्खिन घर और एक पश्चिम घर था जिसमे मम्मा(दादी) घी, दूध,मट्ठा, अचार, और मिठाई वगैरह रखती थी पर उसमे जाने की मनाही थी वो ही निकाल के दे सकती थी किसी को भी इजाज़त नहीं थी उनके पश्चिम घर में जाने की……….इन कमरों के बारे में बताते बताते मुख्य बात तो रह गयी …आमो की बात …..उफ़ वो रसीले मीठे आम ….और सबसे बड़ी बात, कितने सारे आम कितने भी खाओ कोई गिनती नहीं, कोई चिंता नहीं….. ……सुबह भी आम खाते थे फिर पूरी दोपहर आम खाते थे . ….एक बार में चार पांच आम तो खा ही लेते थे …..अब वो आम खाने में कहाँ मज़ा आता है एक तो इतने महंगे है आम ……और फिर कैसे भी करके खरीदो तो वो गाँव के आमो जैसा स्वाद उनमे कहाँ आता है …….और अमावट जिसे शहर की भाषा में आम पापड कहते है उसका स्वाद भी कहाँ दुकानों से ख़रीदे आम पापड़ में आता है ……… इन दुकानों की चका चौंध में दिखावे में हर चीज़ का स्वाद गुम होता जा रहा है……बस दिखाई देता है चमकते हुए कागजों में बंद सामान जिसमे सब कुछ बनावटी …स्वाद भी ………… हमने तो फिर भी कुछ असली चीजों का स्वाद चखा है ……लेकिन हमसे आगे आने वाली पीढ़ी तो पिज्जा बर्गर में ही गुम होकर रह जाएगी क्या उन्हें कभी हमारी देसी चीजों का स्वाद पता चल जाएगा ……….फिशर प्राइज़ के खिलोने क्या कभी अपने खुद के हाथो से बने मीट्टी के खिलोनो का मुकाबला कर पायेंगे …………जिस गाय के गोबर से हमारे गाँव के घरो को लिपा जाता था उसी गाय के गोबर को देखते ही आज की पीढ़ी मुह बना कर नाक बंद कर लेती है….. हम लोग निम् के पेड़ की सबसे ऊँची डाल पर झूला बाँध कर झूलते थे, गाँव के तालाब के किनारे और खेतो में दौड़ दौड़ कर जो खेल खेला करते थे उन खेलो का, बंद कमरों में बैठ कर कम्पूटर के सामने खेले जाने वाले खेलो से क्या कोई मुकाबला है …….पर क्या इसमें आज की पीढ़ी की गलती है नहीं इसमें गलती तो हमारी है ……….उनकी छुट्टिया होते ही हम उन्हें समर कैंप में भेज देते है या फिर किसी हिल स्टेशन में घुमाने लेकर चले जाते है ……….क्योंकि अब हम खुद ही बिना सुविधाओं के नहीं रह पाते है ……… …….जबकि गाँव जाकर हम वो सीख सकते है जो हमें कोई समर केम्प नहीं सीखा सकता ………….. सादगी, भोलापन , बड़ो का सम्मान, अपनों से प्यार, प्रकृति से लगाव ये सब हम वहाँ से सीख सकते है……….गाँव में बीताये हुए वो बचपन की यादे अभी भी मेरे ज़ेहन में यं ताज़ा है जैसे कल ही की बात हो ………चूल्हे में बने हुए खाने का स्वाद , वो कुँए का मीठा पानी सब कुछ मन में बसा हुआ है ………..
आज भी जब जगजीत सिंह की इस ग़ज़ल को सुनता हूँ तो आँखे नम हो जाती है …..“ये दौलत भी ले लो ये शोहरत भी ले लो, भले छिन लो मुझसे मेरी जवानी, मगर मुझको लुटा दो वो बचपन का सावन, वो कागज़ की कश्ती वो बारिश का पानी……….कड़ी धुप में अपने घर से निकलना, वो चिड़िया वो बुलबुल वो तितली पकड़ना, वो गुडिया की शादी में लड़ना झगड़ना, वो झूलो से गिरना वो गिर कर संभलना, ना दुनिया का ग़म था न रिश्तों का बंधन, बड़ी खूबसूरत थी वो जिंदगानी…….. सच बड़ी खूबसूरत थी वो जिंदगानी
यदि ऐसे लक्षण है तो समझो आपको प्यार हो गया है
- अचानक आपका संगीत का टेस्ट बदल गया हो, विरह गीत से आप सीधे सीधे डुएट पर उतर आए हो।
- आपको माँ के हाथ की बनी रोटियों मे भी उसका चेहरा नज़र आता हो।
- रात करवटें बदल बदल कर कटती हो।
- सारा दिन उसके ख्यालों मे बीतता हो।
- जब घर वाले कहने लगे, आप ऊंचा सुनने लगे हो।
- जब आप उसके घर पर बार बार फोन करके काटने मे पारंगत हो चुके हो।
- मोबाइल का बिल दस गुना बढ गया हो।
- आप इंटरनैट पर प्यार मोहब्बत वाले एसएमएस ढूंढने लगे हो।
- बॉस की डॉट का भी बुरा नही लगता हो।
- घर से कंही भी जाने के रास्ते महबूब की गली से होकर गुजरते हो।
- जब जिंदगी बहुत खूबसूरत लगने लगे।
- बार बार आईना देखने का मन करता हो….
- टीवी पर आने वाले हर प्रोग्राम मे नायिका का चेहरे मे आप अपने प्रियतमा का ही चेहरा नज़र आता हो।
- उर्दू समझ मे ना आने के बावजूद, गज़लें बहुत पसन्द आने लगी हो।
- आप बार बार ये सोचने लगे, कि ये पहले क्यों नही मिली (अगर बाद मे खुदा ना खास्ता शादी हो गयी, तो भी वैसा ही सोचोगे, बस "नही " शब्द हट जाएगा।)
- जब पाँच बजे का मिलने का वक्त तय हो, तो आप 1 बजे ही
मिलनघटनास्थल पर पाए जाएं। - घर से आप पूरा होमवर्क (स्क्रिप्ट,स्टाइल, शेरो शायरी याद करना) करके चले हो, लेकिन उसके सामने बोलती बंद हो जाए।
- जब आप उसके नाम के पहले अक्षर की अंगुठियों के डिजाइन देखना/पसंद करना शुरु कर दें।
- बार बार कल्पना करने लगते हो, कि काश! इस दुनिया मे सिर्फ़ वो और आप हो….बाकी कोई नही।
- माशूका के घरवाले आपके लिए कभी ईश्वर तो कभी, यमदूत की तरह दिखने लगते हो।
- गणित के सवाल हल करते समय, अक्सर शून्य मे उसका चेहरा दिखने पर, अटक जाते हो।
- जब उसके नाम और अपने नाम मे आप समानता ढूंढने लगते हो।
- उसके धर्मस्थलों पर आपके विजिट बढ जाते हो।
- जब आप चैट वाले साफ़्टवेयर मे नया आईडी( जो सिर्फ़ उसको पता हो) बनाकर लागिन करते हो। और घंटो उसका इंतजार करते हो।
- दिन मे सैकड़ों बार उसके नाम को गूगल करते हो।
- किसी और का फोन मिलाते मिलाते, उसका मोबाइल मिला दें।
- आपके बिजनैस प्रेजेन्टेशन मे उसका नाम बेसाख्ता जुबान पर आ जाए।
- उसने नाम या शक्ल मिलने वाली हिरोइनों की सारी फिल्मों की डीवीडी (भले ही आर्ट मूवी हो) आप खरीद लाएं।
- उसकी पसंद के रंग के कपड़े आपको पसंद आने लगे।
- अपनी पसंद को नज़रअंदाज करके, आप उसकी पसंदीदा ब्रांड/बैंड/फूल/किताब/फिल्म/नाटक/गीत/संगीत पर अपने पैसे फूंकने लगे हो।
- अक्सर उसका जिक्र आने पर आपका चेहरा गुलाबी हो जाए।
- जहाँ जहाँ उसका आना-जाना हो, उन जगहों पर आप अक्सर अपना डेरा जमाने लगे।
- उसके अलावा बाकी लड़कियां (भले ही मल्लिका शेरावत टाइप की दिखें) आपको बेकार दिखने लगे।
- ईश्वर मे आस्था बढ जाए। मंदिरो/मजारों पर आना जाना बढ जाए।
- आप मन्नतों के धागे बांधने शुरु कर दें।
- आप दोस्तों से झूठ बोलने लगे।
Monday, October 10, 2011
वक़्त का ये परिंदा रूका हैं कहा.
Tuesday, June 7, 2011
कैसे बताऊँ,तुम मेरी कौन हो………………?
तुम दीद,..तुम प्रीत,…….तुम रीत,………तुम सुबह…..तुम शाम……..तुम नदिया……तुम
घाट……तुम पावन सरिता …..तुम निर्झर धार………तुम पनघट……..तुम नय्या…..तुम पतवार……तुम
मलिहार …….तुम मेरे जीवन का सार हो…….
कैसे बताऊँ,तुम मेरी कौन हो………………..?
तुम अर्पण…….तुम दर्पण…..तुम तर्पण…..तुम धुप………तुम छाओं…….तुम प्यार……तुम
ऐतवार……तुम करार……तुम इकरार……..तुम बहार………..तुम चलो ..तो चले…….जीवन
धार……………..तुम रुको तो रुक जाए संसार…
कैसे बताऊँ,तुम मेरी कौन हो………………..?
तुम सुरूर……तुम मेरा गरूर…….तुम ख्वाब……..तुम नींद…….तुम शबाब……..तुम
कजरा……तुम गजरा……तुम कमल……तुम गुलाब………..तुम फूल……….तुम कलियाँ……..तुम हरियाली
अपार हो…..
कैसे बताऊँ,तुम मेरी कौन हो……………..?
तुम सूरज…..तुम चंदा…….तुम नदिया…….तुम
पहाड़……..तुम बादल………..तुम फुहार………तुम बारिश……..तुम रिमझिम बरसात…….तुम
पवन……….तुम गगन………..तुम सरस सलिल मस्त बहार…..
कैसे बताऊँ,तुम मेरी कौन हो……………..?
तुम मेरे अपने……….तुम मेरे सपने……….तू है तो ये जहां है………….तेरी छाओं में तो
ये जीवन अपना है ……….तू रूठे……तो बन जाये बीराना…….तू हँसे,तो छलके पैमाना………………जैसे मोतियों
के हार………गजरे की माल……………..एक एहसास,जैसे झोंका कोई हबा का,……………….मानो कोई
फ़रिश्ता,आकर धीरे से छू गया…………….तू शौक…..तू ज़ौक……..तू महकशी………..तू दिल्लगी……तू
ज़िन्दगी……तू महकदा…………तुम मेरा हर जवाब हो….
कैसे बताऊँ,तुम मेरी कौन हो………………?
तेरी चाल …….जैसे ढोलक की ताल……तू इतराए……तू शर्माए…….तू
लजाये…………..सब कुछ मेरे जी को भाये………..तू है तो मई हूँ,तू नहीं तो मैकदे को महास्त्तर
हूँ…………………..तू जो जुल्फों को लहराए……मानो बादलों की घटा छाये…………तेरा रूठना….तेरा
मनाना…..येही है मेरे जीवन की कहानी……..तू ही है,मेरे जीवन का फ़साना……..
कैसे बताऊँ तुम मेरी कौन हो……………..?.
Saturday, March 12, 2011
प्रेम
प्रेम तो है इबादत उस ईश की,
इस धरा पर है चहु ओर संकट बहुत,
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सोचा था इस बार उनको भूल जायेंगे,
देख कर भी अनदेखा कर जायेंगे,
पर जब-जब सामने आया उनका चेहरा ,
सोचा इस बार देख लू ,
अगली बार भूल जायेंगे ,
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ऐ ख़त जा.उनके दामन को चूम लेना.
जब ओ पढ़े तो उनके होठो को चूम लेना.
खुदा न करे. अगर ओ पढ़ कर फेक दे .
तो उनके कदमो को चूम लेना
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आँखों में आंशु आ जाते है .
फिर भी लबो पे हसी रखनी पड़ती हैं.
ये मोहब्बत भी क्या चीज है यारो.
जिससे करो उसी से छुपानी पड़ती हैं /
Tuesday, March 8, 2011
सह लिया हर दर्द हमने हंसते हंसते
एक लड़का और एक लड़की एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे.
दुर्भाग्य से लड़का मर गया..
मरने के बाद उसने लड़की से कहा
"एक वादा था तेरा हर वादे के पीछे,
......तू मिलेगी मुझे हर दरवाज़े क पीछे,
पर तू मुझे रुसवा कर गयी
एक तू ही ना थी मेरे जनाज़े के पीछे".
इतने में लड़की की आवाज़ आई,
उसने कहा . .
एक वादा था मेरे हर वादे के पीछे,
मैं मिलूँगी तुझे हर दरवाज़े के पीछे,
पर तूने ही मूड के ना देखा,
एक और जनाज़ा था तेरे जनाज़े के पीछे
***************************************
जब नजरो से नजरो का टकराव होता हैं.
हर मोड़ पर किसी का इंतजार होता हैं,
दिल रोता हैं,और जख्म हँसते हैं,
इसी का नाम तो प्यार होता हैं,
************************************
खुदा से मैंने एक दुवा मांगी,
दुवा में अपनी मौत मांगी,
खुदा ने कहा की मौत तो तुझे दे दू ,
पर उसे क्या दू ,
जिसने तेरी लम्बी उमर की दुवा मांगी
***************************************
जिंदगी देने वाले , मरता छोड़ गये,
अपनापन जताने वाले तन्हा छोड़ गये,
जब पड़ी जरूरत हमें अपने हमसफर की,
वो जो साथ चलने वाले, रास्ता मोड़ गये ॥
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मैंने भी किसी से प्यार किया था.,
खड़े होकर उनकी राहो में इजहार किया था,,
मुझे क्या पता था वो भूल जाएगी मुझे,
गलती उसकी नहीं हमारी ही थी,
जो एक बेवफा से प्यार किया था ,
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जमाने से नहीं तन्हाई से डरते हैं ,
चाहत से नहीं रुसवाई से डरते है,
मिलने की हसरत हैं इस दिल में ,
लेकिन मिलने के बाद जुदाई से डरते है,
*******************************************************
एक दिल मेरे दिल को जख्म दे गया ,
जिंदगी भर तड़पने का गम दे गया,
लाखो फूलो में एक फूल चुना था मैंने.
जो काँटों से भी गहरी चुभन दे गया,
Thursday, March 3, 2011
आंसुओं को बहुत समझाया
आँसूं बोले, इतने लोगों के बीच भी आपको तनहा पाते हैं,
बस इसीलिए साथ निभाने चले आते हैं!!
किसी की चाहत को सजा मत देना,
किसी की मुहब्बत को दगा मत देना,
जिसे तुम्हारे बिना जीने की आदत ना हो,
उसे कभी लंबी उम्र की दुआ मत देना।
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टूटे हुए तारे को देख कर मैं ने कहा
ऐ दिल मांग ले तू भी मुराद कोई ,
फिर दिल से आवाज़ आई की,जो खुद टूट रहा हो ,
कैसे पूरी करेगा वोह फरयाद कोई .
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बहकते आंसुओं की जुबां नही होती।
लफ्जों में मोहब्बत बयां नही होती।
प्यार मिले तो तुम उसकी कदर करना,
किस्मत हर किसी पे मेहरवां नहीं होती।
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जाते- जाते वो कैसा सितम कर गए।
कुछ और मेरे नाम नए गम कर गए।
जाने कहां खो गया उनका दिया पता,
देखिए वो मेरी आंखें ही नम कर गए।
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नजरें ही मिला करतीं, कोई बात नहीं होती।
कभी महबूब से अपने, मुलाकात नहीं होती।
मत पूछिए अब कहानी, गैरों के इरादों की,
अपनों ने वफा की होती, तो मात नहीं होती।
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लोग अपना बनाकर छोड देते हैं
रिश्ते गैरों से जोड लेते हैं
हम तो एक फूल भी नही तोड सके
लोग तो दिल भी तोड देते हैं
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जब प्यार करना सीख लिया,
तो बेवफाई का जख्म भी ले लिया
इस डर से कि कोई देख ना ले
ये आंसू हमने हर गम में मुस्कुराना भी सीख लिया
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जिनकी आंखें आंसू से नम नहीं
क्या समझते हो उसे कोई गम नहीं
तुम तड़प कर रो दिये तो क्या हुआ
गम छुपा के हंसने वाले भी कम नहीं।
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हर ध्ड्रकन में एक राज्र होता है
हर बात को बताने का एक अंदाज्र होता है
जब तक ठोकर न लगे बेवफाई की
हर किसी को अपने प्यार पे नाज्र होता है
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जिंदगी कुछ नहीं बस दोड़ धुप है,
रोती आँखों से देखो तो मायुश सी लगती है,
हस्ती आँखों से देखो तो हस्ती हुई लगती है
गम के आंसू
आशिक जलाए नही द्फनाय़े जाते हैं,
आता नही हमको राहें वफा दामन बचाना,
जो गिर गया उसे और क्यों गिराते हो,
गुज़री है रात आधी सब लोग सो रहे हैं,
गुज़रे है आज इश्क के उस मुकाम से,
जिस पेड के पत्ते होते है वही पत्ते सूखते है,
जब खामोशी होती है नज़र से काम होता है,
तुम क्या मिले कि फैले हुए गम सिमट गये,
वो फूल जिस पर ज्यादा निखार होते हैं,
पी लिया करते हैं जीने की तमना मे कभी,
मै जिस के हाथ मे एक फूल दे कर आया था,
आपको मुबारक हो इशरते ज़माने की,
कब तक तू तरसेगी तरसाएगी मुझ को,
अगर खुश हो तुम दिखाकर अश्क मेरी आँखों में,
दिल से कहते हैं मुस्कराना छोड़ देंगे,
तड़पते रहेंगे तुझे देखने को.
मगर तुम्हारी तरफ नजर उठाना छोड़ देंगे .
उनका बिना जिनगी उदास लागेला,
कईसे बुझायीं इ छतिया के अगिया ,
उनका बिना जियरा के पियास लागेला.
रौवा से का छुपाईं रौवा हईं संघतिया,
उनका बिना जिनगी उजाड़ लागेला,
सुनीं सुनीं रउवो सुनीं इ बिरहा के बतिया,
उनका बिना इ संसार पहाड़ लागेला.
अयीनी कमाए विदेसी में रुपिया,
उनका बिना रुपिया जंजाल लागेला,
कईसे कंही, केह्से कंही मनवा के बतिया..
तेरे चाहत तो सलाम
फिर मेरी याद मे तुम तडपती क्यो हो,
तुमने ही पावंदी लगाई है मुलाकातो पर,
फिर अब राहें मेरी तुम तकती क्यों हो.
कदमो को तेरे, तेरी आहट को सलाम.
जिस प्यार से तुने सवारी जिंदगी मेरी,
ऐ मेरे यार तेरी इस इनायत को सलाम.
प्यार की एक कहानी लगी थी तुम,
सबूत तूम ही थी कुदरत के नूर का,
जीती जागती कोई निशानी लगी थी
आँसू गिरने की आहट नही होती
गुलाब जिंदा रहा
अलग हुआ तो मुरझा गया,
वह चिराग क्या अपना दर्द बयान करे
जिसको जलाने वाला ही बुझा गया।
पल पल रंग बदलती इस जिंदगी में
कभी खुशनुमा पल तो
कभी हादसे भी पेश आते हैं,
उम्मीद में छा जाता ग़म का अंधेरा
जहां टूटे सपने चुभोते हैं नश्तर
वहां तिनके भी फरिश्ते बन जाते हैं,
अपनों ने बढ़ायी हैं जहां उलझने
वहां कोई गैर मसले सुलझा गया।
हर किसी का कोई सहारा हो
कि जिसे हम प्यार करें
उसे भी हमसे प्यार हो
कुछ कश्तियां तो समंदर मैं ही डूब जाती हैं
यह जरूरी नहीं कि हर किश्ती का कोई किनारा हो
ना जवाब बन के मिला करो
मेरी जिंदगी मेरा ख्वाब है
मुझे ख्वाब बन के मिला करो
इतनी मोहब्बत है मेरे दिल में आपके लिये
कि यह कभी कम न हो पायेगी
जिस दिन जायेंगे इस दुनिया से
उस दिन मौत भी आंसूं बहायेगी
निगाहें निगाहों से मिलाकर तो देखो
नये लोगों से रिश्ता बना के तो देखो
हसरतें दिल में दबाने से क्या फायदा
अपने होंठों को हिला के तो देखो
आसमां सिमट जायेगा तुम्हारे आगोश में
चाहत की बाहें फैला कर तो देखो
दिल के टूटने की आवाज नहीं होती
गर होता उन्हें एहसास दर्द का
तो दर्द देने की आदत नहीं होती !
जहर दुश्मन से लिया नहीं जाता
दिल में है उल्फत जिस प्यार की
उसके बिना जिया नहीं जाता!
एक सवाल दुनिया बनाने वाले से
है जिसमें दिन रात,गर्मी सर्दी, सत्य असत्य की लड़ाई |
तूने जो बनाया,मानव माटी का पुतला देखने को खेल
देख उसी ने करके अनाचार,झगडे, झूठे लफड़े, मारकाट मचाई
तू देख उसके कारनामे, उसी ने की तेरी जग हंसाई।
दुनिया बनाने वाले तूने कैसी ये दुनिया बनाई
देख तेरे खिलोने के कारनामे, तुमको भी लाज क्यों नही आई
त्रेता,द्वापर में आया तू खुद, मारे रावण कंस, आततायी
कलियुग के आतताईयों को मारने की कब होगी भरपाई
नजरे घुमाकर तो देख तेरे बंदे ने कैसी है रार मचाई
चारों ओर है हाहाकार,है गोलीबारी.हत्या मारामारी के दंगाई।
दुनिया बनाने वाले तूने कैसी ये दुनिया बनाई,
सत्य के पुजारी,धर्म के आचारी, कहां जायें, अनाचारियों को कुर्सी पकड़ाई
नोट,वोट,झगडे लफड़ों से करते मनभानी, फिर भी न मोंगे उनसे सफाई
इन लादेनों के दिन कब लदेगे, कब मरेगे ये आतताई |
जिंदगी
चाहने वालों की कतार में कोई दीवाना रखना।
जिंदगी जिस तरह भी चले चलाना उसको,
खुशियां पराई हों पर गम भी बेगाना रखना।
बादल की उड़ान में खुले आकाश को रखना,
मगर दिल के किसी कोने में जमाना रखना।
जो अच्छा लगे दिल में बसा के रखना उसको,
मगर दिल के एक कोने को वीराना रखना।
भले ही ना बने कोई कहानी जिंदगी में,
पर छोटी सी मुलाकात एक अफ़साना रखना।
सबके साथ होते हुए भी अकेली है जिंदगी,
कभी प्यार का अरमान है जिंदगी,
तो कभी दर्द से भरा तूफान है जिंदगी,
कभी कांटों से भरा रास्ता है जिंदगी,
कभी फूलों-सी मासूम है जिंदगी,
और कभी गुनाहों का बोझ बन जाती है जिंदगी,
आखिर क्या है यह जिंदगी ?
इसे छोड़ एक दिन जाना पड़ेगा,
जिंदगी से चाहे जितना प्यार कर लो,
होती है आखिर बेवफा यह जिंदगी,
इसीलिए कुछ ऐसा जी कर जाओ इसे,
कि इतिहास में दर्ज हो जाए यह जिंदगी।
सुख कभी वो देख पाता नहीं।
जिंदगी आंसू की लकीरें नहीं,
यूं ही इसे बहाया जाता नहीं।
दूसरों के आंसू जो पोंछें नहीं,
जीना अभी उसने जाना नहीं।
निज देश हेतु कुछ अर्पण नहीं,
पूजा का तरीका वो जाना नहीं।
मदान्ध वृत्ति में यूं जीना नहीं,
अहंकार से कभी जलना नहीं।
दूजे की धरती पर मरना नहीं,
अपनी धरा को त्यागना नहीं।
इन शब्दों को भूलना नहीं,
भूलने में कोई गरिमा नहीं।
देखा तो वो तस्वीर हर एक दिल से लगी थी
ये चोट किसी साहिबे-महफ़िल से लगी थी
दोस्ती
दोस्ती सोच है , आवाज नहीं
कोई आँखों से नहीं देख सकता दोस्ती के जज्बे ,
क्योंकि दोस्ती एहसास है ,अंदाज नहीं
हर वक्त मिलने की फरियाद करते है
हमे नही पता लेकिन घरवाले बताते है
कि हम नींद में भी आपसे बात करते हैं
चांदनी की चाहत किसे होती,
कट सकती अगर ये जिंदगी अकेले तो
दोस्त नाम की चीज़ ही क्यों होती
हर पल मेरे साथ हो आप
दोस्ती की एक आस हो आप
मन का इक विश्वास हो आप
शायद इसलिए कुछ खास हो आप
दिल जोड़ना अदा है दोस्ती की,
मांगे जो कुर्बानिया वो है मोहब्बत,
जो बिन मांगे हो जाये कुर्बान उसे कहते है दोस्ती
यू चुप रहके सज़ा ना दीजिएगा...
ना दे सके ख़ुशी, तो ग़म ही सही...
पर दोस्त बना के यूही भुला ना दीजिएगा..
आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूं
कोई आसू तेरे दामन पर गिराकर
बूंद को मोती बनाना चाहता हूं
थक गया मैं करते करते याद तुझको
अब तुझे मैं याद आना चाहता हूं
छा रहा हैं सारी बस्ती में अंधेरा
रोशनी को घर जलाना चाहता हूं
आखरी हिचकी तेरे शानों पे आये
मौत भी मैं शायराना चाहता हूं
जो हमारा दिल को जान सके,
चल रहा हो हम तेज़ बेरिश मे,
फिर भी पानी मे से आँसुओ को पहचान सके!!!!
लहू बनके मेरी नसनस मे बेहाना,
दोस्ती होती है रिस्तो का अनमोल गेहना
इसलिया इस दोस्ती को कभी अलविदा ना कहना
लहू बनके मेरी नसनस मे बेहाना,
दोस्ती होती है रिस्तो का अनमोल गेहना
इसलिया इस दोस्ती को कभी अलविदा ना कहना
हम ना भी मिलें तो गम मत करना!!!!
ज़रूरी तो नही के हम नेट पेर हैर रोज़ मिलें
मगर ये दोस्ती का एहसास कभी कम मत करना.
अपनापन भी कुछ ज्यादा है आपसे!
न सोचेंगे सिर्फ उम्र भर के लिये!
क़यामत तक दोस्ती निभाएंगे ये वादा है आपसे!
फूलों की खुशबू पास नहीं होती!
मिलना हमारी तक़दीर में था वरना!
इतनी प्यारी दोस्ती इतफाक नहीं होती!
दोस्ती गहरी हो तो सबको भाति है!
दोस्ती नादान हो तो टूट जाती है!
पर अगर दोस्ती अपने जैसे से हो, तो इतिहास बनाती है!
दोस्तों पर हाज़िर है जान हमारी!
आँखों में हमारी आँसू है तो क्या!
जान से भी प्यारी है मुस्कान तुम्हारी!
खुशी भी दोस्तो से है
गम भी दोस्तो से है
टकरार भी दोस्तो से है
प्यार भी दोस्तो से है
रूठना भी दोस्तो से है
मनाना भी दोस्तो से है
बात भी दोस्तो से है
मिसाल भी दोस्तो से है
नशा भी दोस्तो से है
शाम भी दोस्तो से है
ज़िन्दगी की शुरूआत भी दोस्तो से है
ज़िन्दगी मे मुलाकात भी दोस्तो से है
मोहब्बत भी दोस्तो से है
इनायत भी दोस्तो से है
काम भी दोस्तो से है
नाम भी दोस्तो से है
ख्याल भी दोस्तो से है
अरमान भी दोस्तो से है
ख्वाब भी दोस्तो से है
माहोल भी दोस्तो से है
यादें भी दोस्तो से है
मुलाकाते भी दोस्तो से है
सपने भी दोस्तो से है
अपने भी दोस्तो से है
या यू कहुँ यारो
अपनी तो दुनियाँ ही दोस्तो से है
बेवफा
क्यूँ न ए दोस्त हम जुदा हो जाएँ
तू भी हीरे से बन गया पत्थर
हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाएँ
हम भी मजबूरियों का उज़्र करें
फिर कहीं और मुब्तिला हो जाएँ
ज़रा सी बात पर रुसवा फसाना हो गया,
मुझे सज़ा के तौर पर मिला काटों का बिस्तर,
उसका अंगन फूलो का अशियाना हो गया.
दर्द सहे मगर तुझे रुसवा न किया,
जल गया नशेमन मेरा, खाक अरमां हुए,
सब तुने किया मगर मैने चर्चा न किया.
प्यार मे हो गई मेरी जिंदगी बरबाद,
बहुत चाहा मगर किस्मत खराब थी,
दुआ मांगी, न हुआ दिल मेरा शाद.
नाकाम हुए सपने हमारी मुहब्बतों के,
दुनियां ने छिन लिया मुझसे यार मेरा,
मुझे याद आ रहे हैं दिन कुरबतों के.
मेरे दिल की देवी पत्थर हो गयी,
जिसे रात दिन पाने के ख्वाब देखे,
वो बेवफा किसी और की हमसफर हो गई.
मैने चाहा था क्या और ये क्या हो गया,
तुमने यूं फेर ली मुझसे आंखें सनम बेवफा,
मानो मुझ से कोई बहुत बडा गुनाह हो गया.
रातों को जागकर तुम्हारा इन्तज़ार किया था,
लेकिन अब होश आ गया है 'प्यारे' को,
कि एक बेवफा से उम्रभर का इकरार किया था.
क्यो ऐसा मनहूस कदम मैने उठाया था,
तडप किसी सूरत दिल की मिटती नही,
उफ! क्यो उस बेवफा को अपना बनाया था.
कि जिसकी खातिर खूने दिल बहाया था,
ना मुझ से पूछो मेरे गम की दास्तां,
कि मैने हर कदम पर ज़ख्म खाया है
अपने बेगाने हुए दुशमन जमाना हो गया,
ज़रा सी बात पर रुसवा फसाना हो गया,
मुझे सज़ा के तौर पर मिला काटों का बिस्तर,
उसका अंगन फूलो का अशियाना हो गया.
***************************************************
निभाया वादा हमने शिकवा न किया,
दर्द सहे मगर तुझे रुसवा न किया,
जल गया नशेमन मेरा, खाक अरमां हुए,
सब तुने किया मगर मैने चर्चा न किया.
********************************************
ज़िन्दगी इश्क मे तबाह हो गई मेरी,
क्यो ऐसा मनहूस कदम मैने उठाया था,
तडप किसी सूरत दिल की मिटती नही,
उफ! क्यो उस बेवफा को अपना बनाया था.
*****************************************
हम फिर बेवफा से रिश्ता बना बैठे,
फिर उनकी सादगी से धोखा खा बैठे,
पत्थरों से ताल्लुकात है अपना,
फिर भी शीशे के घर बना बैठे.
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ऐ बेवफा मुझे तू भूल न जाना.
अपना कहना मुझे गैर होकर भी,
चाहे कुछ भी कहे ये जमाना.
हंसता हूँ आज मुझे फिर कभी न रुलाना.
ऐ बेवफा मुझे तू भूल न जाना..
मेरी गलियों में न आना ऐ जालिम कभी,
याद करना मेरी वफा का फसाना.
हंसता हूँ आज मुझे फिर कभी न रुलाना.
ऐ बेवफा मुझे तू भूल न जाना..
न समझा किसी ने मेरे सपनों को भी,
अपना कहकर मुझे अब कभी न बहलाना.
हंसता हूँ आज मुझे फिर कभी न रुलाना.
ऐ बेवफा मुझे तू भूल न जाना..
Tuesday, February 22, 2011
मोहब्बत
न था इश्क हमसे तो कोई बात नहीं थी,
यूँ मेरे दिल को न तडपते तो अच्छा होता,
हमसे इकरार न करते तो कोई बात नहीं थी,
इनकार-इ-मोहब्बत न जताते तो अच्छा होता,
माना के मोहब्बत के तेरे हम न थे काबिल,
देखकर हमको न मुस्कुराते तो अच्छा होता,
था ख्वाब मेरा ये तो कोई बात नहीं थी,
आकर ख्वाबो में न जागते तो अच्छा होता.
न होता मंजूर दुनिया को कोई बात नहीं थी.
हमें यूँ न मजबूर बनाते तो अच्छा होता.
आज फ़िर दर्द में डूब ये दिल रोया है।
हर इक ग़ज़ल को दर्द में पिरोया है।
वह वह न करना , नज़्म पर ऐ दोस्त
आज फ़िर दर्द में डूब ये दिल रोया है।
मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क तुम्हें हो जायेगा
मेरे तन्हा से आलम में, जो रंग भरे वो यार कहां
जो भर दे वो अक्सीर कहां?
मेरे लावारिस अश्कों को,
जो थामे वो मनमीत कहां?
मेरे अंधियारे आंगन में,
जो दीया जले तकदीर कहां ?
मेरे तन्हा से आलम में,
जो रंग भरे वो यार कहां?
आहें भर भर के हार गये,
अब उनमें भी तासीर कहां?
जब नायक ही खलनायक हों
तब मिलता है इंसाफ़ कहां?
ख्वाबों के महल सब टूट गये,
बेजान हुए अब जीएं कहां?
आंखों से अश्क हुए ओझल,
पर दर्दे जिगर थमता है कहां?
ये दुनिया जंगल पत्थर की,
खिलना मुरझाना जाने कहां?
शीशे का समझ कर जामे जिगर,
यूं मय को पीया और बहक गया,
हम टुकड़े टुकड़े चुनते रहे,
जो टूट गया सो टूट गया
गीत मिले ना साज रहे,
हो मुग्ध मधुर संगीत कहां?
मौत
आपना रुख़ तू कर उजाले के ओर
बेवफा मिले तो भी तू वफ़ा करले
जी ले यह जिंदगी मौत का रुख़ न ले
दोस्ती
हर चीज़ का हिसाब देंगे क़यामत समझकर,
मेरी दोस्ती पे कभी शक ना करना,
हम दोस्ती भी करते है इबादत समझकर
***********************
ख़ामोशियों की वो धीमी सी आवाज़ है ,
तन्हाइयों मे वो एक गहरा राज़ है ,
मिलते नही है सबको ऐसे दोस्त ,
आप जो मिले हो हमे ख़ुद पे नाज़ है ……..
***********************
फूलों सी नाजुक चीज है दोस्ती, सुर्ख गुलाब की महक है दोस्ती,
सदा हँसने हँसाने वाला पल है दोस्ती,दुखों के सागर में एक कश्ती है दोस्ती,
काँटों के दामन में महकता फूल है दोस्ती, जिंदगी भर साथ निभाने वाला रिश्ता है दोस्ती ,
रिश्तों की नाजुकता समझाती है दोस्ती, रिश्तों में विश्वास दिलाती है दोस्ती,
तन्हाई में सहारा है दोस्ती, मझधार में किनारा है दोस्ती,
जिंदगी भर जीवन में महकती है दोस्ती, किसी-किसी के नसीब में आती है दोस्ती,
हर खुशी हर गम का सहारा है दोस्ती, हर आँख में बसने वाला नजारा है दोस्ती,
कमी है इस जमीं पर पूजने वालों की वरना इस जमीं पर “खुदा” है दोस्ती
दर्द
कभी दूर तो कभी क़रीब होते है
दर्द ना बताओ तो हमे कायर कहते है
और दर्द बताओ तो विनोद को शायर कहते है
अगर हिचकी आए तो माफ़ करना
अगर काम पड़े तो याद करना,
मुझे तो आदत है आपको याद करने की,
अगर हिचकी आए तो माफ़ करना
रुला ना दीजिएगा
यू चुप रहके सज़ा ना दीजिएगा…
ना दे सके ख़ुशी, तो ग़म ही सही…
पर विनोद को दोस्त बना के यूही भुला ना दीजिएगा
दोस्ती होती है रिस्तो का अनमोल गेहना
लहू बनके मेरी नसनस मे बेहाना,
दोस्ती होती है रिस्तो का अनमोल गेहना…
इसलिया इस दोस्ती को कभी अलविदा ना कहना.
आँसु
जो हमारा दिल को जान सके,
चल रहा हो हम तेज़ बेरिश मे,
फिर भी पानी मे से आँसुओ को पहचान सके!!!!
दोस्ती
दुश्मन को भी आप से प्यार हो जाये
Saturday, January 22, 2011
ऐसे रुखसत होंगे तेरे दर से ये कभी सोचा न था,
वो मिटा देंगे अपने हर ज़िक्र से कभी सोचा न था,
खुद कि निगाह में कोई कमी न थी अपनी वफा में,
बस ये ही खता है उसकी नज़र से कभी सोचा न था,
अपने दिल में लिए उसे हम अपना ही समझते रहे ,
उसके दिल में हम किधर हैं ये तो कभी सोचा न था !
मरहम लगाने वाले ही ज़ख़्म दे जाते हैं,
कल क्या पता कौन आपके ज़िंदगी में आ जाएगा.
पास आकर सभी दूर चले जाते हैं,
हम अकेले थे अकेले ही रह जाते हैं,
दिल का दर्द किससे दिखाए,
मरहम लगाने वाले ही ज़ख़्म दे जाते हैं,
वक़्त तो हमें भुला चुका है,
मुक़द्दर भी ना भुला दे,
दोस्ती दिल से हम इसीलिए नहीं करते,
क्यू के डरते हैं,
कोई फिर से ना रुला दे,
ज़िंदगी मैं हमेशा नये लोग मिलेंगे,
कहीं ज्यादा तो कहीं काम मिलेंगे,
ऐतबार ज़रा सोच कर करना,
मुमकिन नही हर जगह तुम्हे हम मिलेंगे.
खुशबू की तरह आपके पास बिखर जाएँगे,
शुकुन बन कर दिल मे उतर जाएँगे,
ज़िन्दगी , जीने के लिए
ज़िन्दगी
एक जज्बा, जीने के लिए
एक आरजू, पाने के लिए
एक इबादत, करने के लिए
एक खजाना, खोजने के लिए
एक लुत्फ़, उठाने के लिए
एक जाम , पीने के लिए
एक लम्हा बहकने के लिए
एक जज़्बात , तजुर्बे के लिए
एक वफ़ा , निभाने के लिए
एक नाज़ , उठाने के लिए
एक सबक , सीखने के लिए
एक डगर , चलने के लिए
एक फूल , खिलने के लिए
एक बगिया , महकने के लिए
एक दरिया , बहने के लिए
एक समंदर , डूबने के लिए
एक सुर , सजाने के लिए
एक ताल , मिलाने के लिए
एक नगमा , गुनगुनाने के लिए
एक साज़ , छेड़ने के लिए
एक तस्वीर , बनाने के लिए
एक ख्वाब , देखने के लिए
एक हकीकत , समझने के लिए
एक हक़ , छीनने के लिए
एक कुर्बानी , देने के लिए
एक बाज़ी , जीतने के लिए
एक मंजिल , पाने के लिए
एक ख़ुशी , बांटने के लिए ...
और बहुत कुछ है ज़िन्दगी ...
लफ्जों में बयान जो हो नो सके ;
लेकिन सतरंगी इन्द्रधनुष सी
Friday, January 21, 2011
खूबसूरत है वो लब जिन पर दूसरों के लिए कोई दुआ आ जाए,
खूबसूरत है वो मुस्कान जो दूसरों की खुशी देख कर खिल जाए,
खूबसूरत है वो दिल जो किसी के दुख मे शामिल हो जाए,
खूबसूरत है वो जज़बात जो दूसरो की भावनाओं को समज जाए,
खूबसूरत है वो एहसास जिस मे प्यार की मिठास हो जाए,
खूबसूरत है वो बातें जिनमे शामिल हों दोस्ती और प्यार की किस्से, कहानियाँ,
खूबसूरत है वो आँखे जिनमे किसी के खूबसूरत ख्वाब समा जाए,
खूबसूरत है वो हाथ जो किसी के लिए मुश्किल के वक्त सहारा बन जाए,
खूबसूरत है वो सोच जिस मैं किसी कि सारी ख़ुशी झुप जाए,
खूबसूरत है वो दामन जो दुनिया से किसी के गमो को छुपा जाए,
तुझे मांग कर खुदा से क्या ज्यादा मांग लिया मैंने..
तुझे मांग कर खुदा से क्या ज्यादा मांग लिया मैंने..
क्या हो गया अगर जिंदगी को ही आजमा लिया मैंने..
लोग कहते है सदियों से के इश्क में रब बसता है..
गुनाह हो गया जो इश्क को ही खुदा मान लिया मैंने..
जब भी माँगा मैंने बस तेरी खुशी की दुआ ही मांगी..
मेरी खुशिया उडा के ले गई आई जो बक्त की आंधी..
सोचा था मागेगे तुझे खुदा के दर पर जा कर कभी..
तुझे खुदा मान के तेरे दर पर ही सर को झुका लिया मैंने..
जहा की दर्द भरी खुदाई देख ली
तुझे पाना चाहा ये मुम्किन ना था
तुझसे बिछड के ये जुदाई देख ली
दर्द बहुत गहरा है सहा नही जाता
देके तुझे प्यार की दुहाई देख ली
तू खामोश खडी रही मेरा आशियाना उजड गया
तू फिक्र ना कर मैने सपने ही सही
पर इस दुनिया से बिदाई देख ली
धरती से सावन की बूंदे मिलने जब भी आती है
उसकी शिकायत करती है कुछ अपना दर्द सुनती है
कुछ रिश्ते नये बनाती एहसास नया दे जाती है
हर एक कली को फूल बाग को गुलशन कर जाती है
चाहत नयी सी होती है अरमान नया दे जाती है
कुछ खुशी के पल कुछ मुस्कान नयी दे जाती है
धरती से सावन की बूंदे मिलने जब भी आती है
उसकी शिकायत करती है कुछ अपना दर्द सुनती है
सूखे खेतो से जब सौंधी सी खुश्बू आती है
सुनी आँखो मे फिर से एक ख्वाब नया दे जाती है
कही प्यार नया होता है कही जुदाई दे जाती है
कही सावन के झूले कही बिरहा के गीत सुनाती है
धरती से सावन की बूंदे मिलने जब भी आती है
उसकी शिकायत करती है कुछ अपना दर्द सुनती है
जिनके मां-बाप होते है
जिनके मां-बाप होते है
पूछो उनसे -
जो अनाथ होते है ।
यदि कोई खुदा है
इस धरती पर
तो वो मां -बाप ही है
तुम चाहे जैसे भी हो
वो तुम्हारे साथ होते है ।
कैसे तुम रोओगे ?
किसी और के सामने
आंशूं बहाने और पोछने
वाले भी तो चाहिए जो
जो तुम्हारे साथ होते है ।
सदा रब से मांगी है खुशियाँ तुम्हारी
सदा खुश रहो ये दुआ है हमारी
अगर तेरे जीवन में गम कोई आये
तो गम सारे मेरे हो
मेरी सारी खुशियाँ तुम्हारी !
कभी तेरे पावों में जो कांटे चुभें तो
काटें तेरे हो तो पीडा हमारी
सदा रब से मांगी है खुशियाँ तुम्हारी
सदा खुश रहो ये दुआ है हमारी !
कभी तेरे पलकों में आंशु जो आयें
अगर आंशु तेरे हो तो आँखें हमारी
सदा रब से मांगी है खुशियाँ तुम्हारी
सदा खुश रहो ये दुआ है हमारी !
मेरी तन्हाई पर मुस्कुराते रहे
देखो जो आईना तो दोस्त नज़र आते हैं
देखो जो आईना तो दोस्त नज़र आते हैं, दोस्ती में..
येह तो बहाना है कि मिल नहीं पाये दोस्तों से आज..
दिल पे हाथ रखते ही एहसास उनके हो जाते हैं, दोस्ती में..
नाम की तो जरूरत हई नहीं पडती इस रिश्ते मे कभी..
पूछे नाम अपना ओर, दोस्तॊं का बताते हैं, दोस्ती में..
कौन केहता है कि दोस्त हो सकते हैं जुदा कभी..
दूर रेह्कर भी दोस्त, बिल्कुल करीब नज़र आते हैं,
दोस्ती में..सिर्फ़ भ्रम हे कि दोस्त होते ह अलग-अलग..
दर्द हो इनको ओर, आंसू उनके आते हैं , दोस्ती में..
माना इश्क है खुदा, प्यार करने वालों के लियेपर
हम तो अपना सिर झुकाते हैं, दोस्ती में..
ओर एक ही दवा है गम की दुनिया में क्युकि..
भूल के सारे गम, दोस्तों के साथ मुस्कुराते हैं, दोस्ती में
सब से छुपा कर दर्द वो जो मुस्कुरा दिया,
कभी उसका चेहरा गुलाब हुआ करता था,
एक ज़ख्म अभी तक बाकी है,
ना ज़मीन, ना सितारे, ना चाँद, ना रात चाहिए,
दिल मे मेरे, बसने वाला किसी दोस्त का प्यार चाहिए,
ना दुआ, ना खुदा, ना हाथों मे कोई तलवार चाहिए,
मुसीबत मे किसी एक प्यारे साथी का हाथों मे हाथ चाहिए,
कहूँ ना मै कुछ, समझ जाए वो सब कुछ,
दिल मे उस के, अपने लिए ऐसे जज़्बात चाहिए,
उस दोस्त के चोट लगने पर हम भी दो आँसू बहाने का हक़ रखें,
और हमारे उन आँसुओं को पोंछने वाला उसी का रूमाल चाहिए,
मैं तो तैयार हूँ हर तूफान को तैर कर पार करने के लिए,
बस साहिल पर इन्तज़ार करता हुआ एक सच्चा दिलदार चाहिए,
उलझ सी जाती है ज़िन्दगी की किश्ती दुनिया की बीच मँझदार मे,
इस भँवर से पार उतारने के लिए किसी के नाम की पतवार चाहिए,
अकेले कोई भी सफर काटना मुश्किल हो जाता है,
मुझे भी इस लम्बे रास्ते पर एक अदद हमसफर चाहिए,
यूँ तो ‘मित्र’ का तमग़ा अपने नाम के साथ लगा कर घूमता हूँ,
पर कोई, जो कहे सच्चे मन से अपना दोस्त, ऐसा एक दोस्त चाहिए,
चाहत.......दोस्ती का नया नाम है.*
वो उजली सुबह कुछ खास थी जब दिल से निकली एक आवाज़ थी,
तो क्या हुआ यदि सुरत दोनो ही अंजान थी,
खुद रिश्ते मे छीपी एक पहचान थी,
हा !! दोस्ती दिलो की दोस्ती इसका नाम है,
बिखरी ख्वाहिशों की डगर मे जिसके जवान हुए हर अरमान है,
ना कोई शरते, ना कोई शिकवे है, ये एक ऐसा एहसास है,
मिला सांसो को मेरी जिसका वरदान है,
पर क्या वक़्त ये यूँ, युगो तक रहता एक समान है,
शायद नही, तभी तो यू, बदले रिश्ते, बदले उनका हर नाम है,
इसी बदलते उल्फत-ए-नशा इन रगून मे, पाया दोस्ती ने मानो अपना मकाम है,
आया फिर जो ये आया समय की धार मे आन्धी-तूफान है,
छुटा किनारा, डूबी किश्ती, यारी मजधार है,
वो सालो सफर तैय करने पर हम खडे चौराहे पर बेनाम है,
शायद यही वो राज़ है.....
शायद यही वो राज़ है.....
की वक़्त के बदलते रिश्ते....
हा !! यहि इस चाहत का नया नाम है...
एक माचिस की तीली से समुंदर क्या जलाओगे,
यादों को तो भुला दोगे पर लम्हों को कैसे मिटाओगे,
कई तूफानों से गुज़री है मेरी मोहब्बत,
इस मासूम हवा से कैसे प्यार का दिया बुजाओगे,
मेंहदी से लिखा है मेरी हथेली पे खुदा ने नाम् तेरा,
कैसे फिर तक़दीर में किसी और का नाम लिखाओगे,
कर बैठा है भरोसा जमाना तेरी बेवफाई का,
रूह को अपनी इस बात का कैसे यकीन दिलाओगे,
आईने से जूठ बोलने की आदत है तुम्हारी,
अपनी बेबसियों का मगर दिल को क्या दिलासा बताओगे ,
वीरानो में तो खामोश दीवारों से सच बोल भी दोगे,
महफिलों में तनहा दिल को क्या सम्जाओगे,
रोक लोगे मुझको अपने पास आने से माना
खुद को मुझसे दूर जाने के लिए कैसे मनाओगे...
अश्क आंखों में भी भरने नहीं देता मुझको
जानता हूँ , कि मैं अब टूट चुका हूँ लेकिन
वो तो इक शख्स बिखरने नहीं देता मुझको
ज़िन्दगी हर पल खास नही होती
फूलो की खुशबू हमेशा पास नही होती
मिलना हमारी तक़दीर मे था वरना
इतनी प्यारी दोस्ती इतेफाक़ नही होती
दिल के तार टूट गये
आप भी रूठ गये
सपने भी टूट गये
आंखो मे थे सिर्फ दो आंसू
जब याद आयी आपकी तो वो भी लूट गये
ये है नाव कागज़ की, तैरती है पल दो पल
जिगर के ज़ख्म, नज़र से नज़र नहीं आते
वार करना है सीने पे कर, दुश्मनी कर, दगा छोड़ दे
"प्यार में किसी को यूँ सताया ना करो
दिल हमारा भूल के भी दुखाया न करो
रह जाओगे तनहा एक दिन खुद यूँ ही
तुम ऐसे दूर हमसे सनम जाया ना करो"
धडकनो मे खुमारी सी लगती है
कल तक मुझमे था जो कुछ मेरा
हर वो चीज़ तुम्हारी सी लगती है
चाहत ना थी ज़िन्दगी की अब तक
तुमसे जुड गयी तो प्यारी सी लगती है
कोई कहता है प्यार सज़ा बन जाता है
पर प्यार करो अगर सच्चे दिल से
तो वो प्यार ही जीने की वजह बन जाता है
आप कहते थे की रोने से ना बदलेंगे नसीब
उम्र भर आपकी इसी बात ने रोने ना दिया
रोने वालो से कहो उनका भी रोना रो ले
जिनको मजबुरी-ए-हालात ने रोने ना दिया
याद किसी को करना ये बात नही जताने की
दिल पे चोट देना आदत है ज़माने की
हम आपको बिल्कुल नही याद करते
क्योकि याद किसी को करना निशानी है भुल जाने की
एक दिल मेरे दिल को ज़ख्म दे गया
जलाके आग क्या मिले,
गंगा बहे नयनो से, प्यास न बुझे फिर भी मगर
हाथ उठा के हम पुकारें, पर न देखे कोई नज़र
इन्सां को इन्सां कहूं, या फिर कहूं मैं जानवर
यूं ही कवितायें बनेंगी, लोग पढ़ भी लेंगे मगर
कोई मतलब इनका नहीं, चेतना न जागे अगर
आओ ऐसा गीत लिखें, गुनगुनाएं जिसको सभी
लाश में भी प्राण फूंके, वो गीत गायें हम अगर
Friday, January 14, 2011
ज़िंदगी है छोटी, हर पल में ख़ुश रहो...
अब इसके बाद मेरा इम्तेहान क्या लेगा लेगा ,
यह एक मेला है वादा किसी से क्या लेगा
ढलेगा दिन तो हर एक अपना रास्ता लेगा
सुनेगा तो लकीरें हाथ की अपनी वो सब जला लेगा
हज़ार तोड़ के आ जाऊं उस से रिश्ता वसीम
मैं जानता हूँ वो जब चाहेगा बुला लेगा
बहार अभी बाक़ी है॥
खेल चुके है इन्सान खून की होली ,
फिर लुटने की तमन्ना है शायद,
धीमे से एक गीत गुनगुनाया है कोई..
मैंने तो आँखों को अपनी बंद रखा था..
फिर भी मेरे दिल में समाया है कोई..
लब पे मुस्कान है चेहरे पे ख़ुशी छाई है..
बन के खुशबू हर तरफ महकाया है कोई..
अब मुझे होता है जिन्दगी जीने का अहसास..
मेरे जीवन में बन के ख़ुशी छाया है कोई.
हम तो दुनिया का दर्द अपने दिल में छुपाये बैठे हैं..
उनकी राहों के उजाले कभी कम न हो जाए..
यही सोचकर आज हम अपना घर जलाए बैठे हैं..
जमाने को तो नफरत है वफ़ा के नाम से ही..
हम तो इन बेवफाओ से भी आस लगाए बैठे हैं..
लोगो ने जाने कितने दिल जलाए होंगे मुफलिसी में..
‘हम’ तो ख़ुद अपनी चिता को आग लगाए बैठे हैं..
आज भिखारी भी है,
मगर
इसमेँ छिपी एहसान की बिमारी भी है
वो धनवान है एक जवान बेटी का बाप
एक गरीब केँ दर का वो भिखारी भी है
बुरी नजर की आग लगाई तो खुद जलोगे
घर मेँ बहन और बेटी तुम्हारी भी है
वक्त की बाजी मेँ लगे हो खुद दांव पर
तुमसे बङा (NAME) कोई जुआरी भी है॥
ये सोच कर ही
कोई करीब आता है॥
दिल पर जब लगती है चोट गहरी लगती है..
समय बङा बलवान है ,
हर जख्म को भर देता है..
पर
लफ्जोँ से मिली चोट हरदम हरी लगती है..
दुश्मनो की तलवार से आदमी बच सकता है..
लेकिन
दोस्ती की सुई बङी गहरी लगती है..
बुझ रहे हैँ एक एक कर के रस्मोँ के दीपक..
गांव के स्नेह की बाती अब शहरी लगती है..
जम जाती है बर्फ जब ठंडे रिश्तोँ पर ..
गर्मजोशी की तीखी धूप भी सुनहरी लगती है..
धीमे से एक गीत गुनगुनाया है कोई..
मैंने तो आँखों को अपनी बंद रखा था..
फिर भी मेरे दिल में समाया है कोई..
लब पे मुस्कान है चेहरे पे ख़ुशी छाई है..
बन के खुशबू हर तरफ महकाया है कोई..
अब मुझे होता है जिन्दगी जीने का अहसास..
मेरे जीवन में बन के ख़ुशी छाया है कोई..
कातिल को आज अपने ही घर ले के आ गया
ता_उमर ढूंढता रहा मंजिल मैं इश्क की
अंजाम ये के गरदे सफर ले के आ गया
नश्तर है मेरे हाथ में कन्धों पे मैकदा
लो मैं इलाज़-ए-दर्द-ए-जिगर ले के आ गया
फ़कीर सनम मैकदे में न आता मैं लौटकर
इक ज़ख्म भर गया था इधर ले के आ गया
इंसान आखिर मोहब्बत में इंसान न रहा,
है कोई बस्ती, जहा से न उठा हो ज़नाज़ा दीवाने का,
आशिक की कुर्बत से महरूम कोई कब्रस्तान न रहा,
हाँ वो मोहब्बत ही है जो फैली हे ज़र्रे ज़र्रे में,
न हिन्दू बेदाग रहा, बाकी मुस्लमान न रहा,
जिसने भी कोशिश की इस महक को नापाक करने की,
इसी दुनिया में उसका कही नामो-निशान न रहा,
जिसे मिल गयी मोहब्बत वो बादशाह बन गया,
कुछ और पाने का उसके दिल को अरमान न रहा !
आज पनीर नही है दाल में ही ख़ुश रहो...
आज gym जाने का समय नही, दो क़दम चल के ही ख़ुश रहो...
आज दोस्तो का साथ नही, TV देख के ही ख़ुश रहो...
घर जा नही सकते तो फ़ोन कर के ही ख़ुश रहो...
आज कोई नाराज़ है उसके इस अंदाज़ में भी ख़ुश रहो...
जिसे देख नही सकते उसकी आवाज़ में ही ख़ुश रहो...
जिसे पा नही सकते उसकी याद में ही ख़ुश रहो
Laptop ना मिला तो क्या, Desktop में ही ख़ुश रहो...
बीता हुआ कल जा चुका है उसकी मीठी यादें है उनमे ही ख़ुश रहो...
आने वाले पल का पता नही... सपनो में ही ख़ुश रहो...
हसते हसते ये पल बिताएँगे, आज में ही ख़ुश रहो
ज़िंदगी है छोटी, हर पल में ख़ुश रहो
दिल पर अजीब रंग उतरते हैं इन दिनों
रख अपने पास अपने महो-मेह्र ऐ फ़लक
हम ख़ुद किसी की आँख के तारे हैं इन दिनों
दस्ते-सेहर ने मांग निकाली है बारहा
और शब ने आ के बाल संवारे हैं इन दिनों
इस इश्क ने हमें ही नहीं मोतदिल किया
उसकी भी खुश-मिज़ाजी के चर्चे हैं इन दिनों
इक खुश-गवार नींद पे हक़ बन गया मेरा
वो रतजगे इस आँख ने काटे हैं इन दिनों
वो क़ह्ते-हुस्न है के सभी खुश-जमाल लोग
लगता है कोहे-काफ पे रहते हैं इन दिनों
के देख लूँ तुझे पल भर,मुझे यही है बुहत
ये और बात के चाहत के ज़ख्म गहरे हैं
तुझे भुलाने की कोशिश तो वरना की है बुहत
कुछ इस खता की सज़ा भी तो कम नही मिलती
ग़रीब-ए-शहर को इक जुर्म-एआगाही है बुहत
कहाँ से लाऊँ वो चेहरा, वो गुफ्तुगू, वो अदा
हज़ार हुस्न है गलियों में,आदमी है बुहत
कभी तो मुहलत-ए-नज़ारा, निक'हत गुजरां
लबों पे आग सुलगती है, तिशनगी है बुहत
किसी ने हँस के जो देखा तो हो गए उस के
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बरसों के बाद देखा एक शख्स दिलरुबा सा
अब ज़हेन में नही है पर नाम था भला सा
अल्फ़ाज़ थे के जुगनू आवाज़ के सफ़र में
बन जाए जंगलों में जिस तरह रास्ता सा
ख्वाबों में ख्वाब उसके यादों में याद उसकी
नींदो में घुल गया हो जैसे के रतजगा सा
पहले भी लोग आए कितने ही ज़िंदगी में
वो हर तरह से लेकिन औरों से था जुड़ा सा
तेवर थे बेरूख़ी के अंदाज़ दोस्ती का
वो अजनबी था लेकिन लगता था आशना सा
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यूँ ना मिल मुझसे खफा हो जैसे
साथ चल मेरे मौज-ए-सबा हो जैसे
लोग यूँ देख कर हस देते है
तू मुझे भूल गया हो जैसे
इश्क को शर्क की हद तक ना बढ़ा
यूँ ना मिल हमसे खुदा हो जैसे
मौत भी आए तो इस नाज़ के साथ
मुझ पर एहसान किया हो जैसे
ऐसे अंजान बने बैठे हो
तुम को कुछ भी ना पता हो जैसे
हिचकियाँ रात को आती ही रही
तूने फिर याद किया हो जैसे
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दोस्ती करो तो धोखा मत देना,
दोस्तो को आंसू का तोफा मत देना,
दिल से रोये कोई तुम्हे याद कर के,
ऐसा किसी को मौका मत देना.
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इतने अपनो मे भी एक अपने की प्यास है मुझे
छोड आता है हर कोइ समन्दर के बीच मुझे........
अब डूब रहा हु तो एक साहिल की तलाश है मुझे
लडना चाहता हु इन अन्धेरो के गमो से
बस एक शमा के उजाले की तलाश है मुझे
तग आ चुका हु इस बेवक्त की मौत से मै
अब एक हसीन ज़िंदगी की तलाश है मुझे
दीवना हु मै सब यही कह कर सताते है मुझे
जो मुझे समझ सके उस शख्श की तलाश है मुझे
खुद को इस दिल में बसाने की इजाज़त दे दो,
मुझ को तुम अपना बनाने की इजाज़त दे दो,
तुम मेरी ज़िंदगी का एक हसीन लम्हा हो,
फूलों से खुद को सजाने की इजाज़त दे दो,
तुम्हारी रात सी ज़ुल्फों में चांद सा चेहरा,
ये जान फिर तुम लुटाने की इजाज़त दे दो,
नही शौक 'तुझे ' को भूल जाने का मगर,
मुझे ये दुनिया भूल जाने की इजाज़त दे दो...!!!
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के दूर जाना खौफ़ बन जाये
एक कदम पीछे देखने पर
सीधा रास्ता भी खाई नज़र आये
किसी को इतना अपना न बना
कि उसे खोने का डर लगा रहे
इसी डर के बीच एक दिन ऐसा न आये
तु पल पल खुद को ही खोने लगे
किसी के इतने सपने न देख
के काली रात भी रन्गीली लगे
आन्ख खुले तो बर्दाश्त न हो
जब सपना टूट टूट कर बिखरने लगे
किसी को इतना प्यार न कर
के बैठे बैठे आन्ख नम हो जाये
उसे गर मिले एक दर्द
इधर जिन्दगी के दो पल कम हो जाये
किसी के बारे मे इतना न सोच
कि सोच का मतलब ही वो बन जाये
भीड के बीच भी
लगे तन्हाई से जकडे गये
किसी को इतना याद न कर
कि जहा देखो वोही नज़र आये
राह देख देख कर कही ऐसा न हो
जिन्दगी पीछे छूट जाये
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क्यों बे खता को दी है सज़ा ये बता मुझे
कुछ तो करार, कुछ तो सकूं कर अता मुझे
इक आसमां के चाँद को छूने की चाह ने
अपनी ज़मीं से दूर बहुत कर दिया मुझे
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मुस्कुराते हुए हर लम्हा कटे जीवन का
कोई पल भी कभी खुशियों से न खाली आये
जिन्दगी में हो मुकद्दर का उजाला इतना
जब अंधेरे कभी घेरें तो दीवाली आये
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मंजिल की जुस्तजू में, भटकता रहा अलग
अपनों का साथ छोड़ के, जो चला अलग
किस किस का जिक्र कीजिये दुश्मन हज़ार हैं
रहबर, अलग फिराक में है,, रहनुमा अलग
नजदीक हैं, नज़र में हैं , ओझल हैं दिल में हैं
क्या दूर, क्या करीब, वो क्या, पास क्या अलग
मुश्किल हज़ार आईं,, मगर दूर हो गईं
माँ की दुआ ने की है हर इक बद-दुआ अलग
उनको जवाब दीजिये उनकी ज़बान में
लहजे से अपने कीजिए ये इल्तजा अलग
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अब भला आसमान तकने से क्या होगा
ज़मीन पर जॅमा दे पैरों को,
आप खुद हैं आपके वो अपने हैं,
थम के देख आज एकबार गैरो को,
होसला करके फाँद जा अब तो इनको,
कब तलक देखेगा इन लहरों को,
मॅन में ठाना है तो करके दिखा,
तोड़ दे आज लगे सारे पहरों को.
कब तलक चुपचाप सहेगा ज़ुल्म,
ज़रा ग़र्ज़ सुनादे बहरों को.
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आयने में तकती है मेरी सादगी मुझको
ख़ुद पे रख नहीं पता मै कभी कभी काबू
याद आ ही जाता है वो कभी कभी मुझको
तुम्हे आज भी इंतज़ार है उसके लौट आने का.
और ये दिल मुस्कुरा के कहता है मुझे तो
अब तक यक़ीन ना हुआ उसके चले जाने का
शेर पडने लगे गुनगुनाने लगे
पहले मशूहर थी अपनी संजिदगी
अब तो लोगो से मिलने मिलाने लगे
तन्हाई मे किसी के साथ छिपी हो
लम्हो मे किसी की याद छिपी हो
इस खामोशी मे जैसे कोई बात छिपी हो
ख्याल तेरा ही जहा मे आया
अब इस से बढकर वफा की हद क्या होगी
कि हर ज़रे मे मैने अक्स तेरा पाया
जब कभी चली बात तेरी ए दोस्त
जब्त आंसू कर गये हम लेकिन दिल को रोता पाया
कहते है वक़्त हर ज़ख्म को भर देता है लेकिन
जाने क्यो मैने अपने ज़ख्म को हर वक़्त हारा पाया
तुम तो चल दिये छोड कर तन्हा मुझको लेकिन
आंखो को हर पल तेरे इन्तेज़ार मे बिछा पाया
रुसवा ना कोई हो ये दुआ है मेरी
जैसा मुझे दीवाना किया उल्फत ने
ऐसा ना कोई हो ये दुआ है मेरी
ये अफवाह किसी दुश्मन ने फैलाई होगी
शाम से रहेंगे "जान" आपके दिल मे हम
इतने दिनो मे हमने कुछ तो जगह बनाई होगी
दिल के तार टूट गये
आप भी रूठ गये
सपने भी टूट गये
आंखो मे थे सिर्फ दो आंसू
जब याद आयी आपकी तो वो भी लूट गये
मेरे नगमे है तुम्हारे ही लिये गा कर देखो
मेरे दिल की हर बात सुनाई देगी तुमको
मेरी तस्वीर को कभी सीने से लगा कर देखो
हिज़्र मे कैसे बसर होते है दिन रात मेरे
तुम कभी मेरी तन्हाई मे आकर देखो
गुल की चाहत मे मिले ज़ख्म ही सदा
अब के दिल को किसी पत्थर से लगा कर देखो
वैसे लाये ये दिन खुशिया हज़ार तेरे दामन मे
बुरी नज़र ना लग जाये मुझे तेरी खुशियो के चिलमन से
तू हमेशा रहे शामिल बे-गमो के अन्जुमन मे
होट खुले मगर कोई बात न हो सकी,
मेरी खामोश निगाहें हर बात कह गई ,
और उनको शिकायत है के बात न हो सकी
छोटे से ज़ख्म को नसूर कर देता है
कौन चाहता है अपनो से दूर होना
पर वक़्त सबको मजबूर कर देता है
अच्छा लगता है
उनका यूँ हमको हर रोज़ सताना
अच्छा लगता है
कभी मिलती है नज़र
और कभी है नज़र
और कभी झुक जाती है
उनका यूँ मिला के नज़र
नज़र चुराना अच्छा लगता है
खुलकर मिलने मे हमसे वो
ज़रा शरमाते है
उनका यूँ हमसे मिलके शरमाना
अच्छा लगता है
कभी कभी वो गैरो से भी
खुलकर बातें करते है
उनका यूँ दिललगी से दिल को जलाना
अच्छा लगता है
उनके लब खुल जाये तो
फूलो की बारिश होती है
उनका यूँ हंसके हमको बुलाना
अच्छा लगता है
वक़्त थोडा है पास मेरे
पर बहुत कुछ अभी करना बाकी है
वो जख्म जो अपनो ने दिये उसे अभी भरना बाकी है
तेरी मोहब्बत की आदत पड गयी है मुझे
कुछ देर तेरे साथ चलना बाकी है
समशान मे जलता छोडकर मत जाना वरना रुह कहेगी
रुक जा अभी इसका दिल जलना बाकी है
मुझे ले चलो कभी उस जहाँ
जहाँ तू ही मेरा नसीब हो
जहाँ दिल से तू ही क़रीब हो
जहाँ गम कभी ना आ सके
जहाँ नफरते ना सटा सके
जहाँ क़रब हो, जहाँ हो खुशी
जहाँ चाहती हो हमे ज़िन्दगी
जहाँ दिल मेरा ना उदास हो
जहाँ हर जगह तेरी आस हो
मेरी ज़िन्दगी मेरी जान-ए-जा
मुझे ले चलो कभी उस जहाँ
मौसम की आरज़ू को ना ठुकराये
रिश्तो को भूल जाना तो आसान है मगर
पहले खुद अपने-आप को समझाये
मै प्यार तेरा हूँ "जान" ये याद रहे
इसलिये कभी-कभी मेरे ही शेर मुझको सुना जायीये
फिर कभी याद ना आयेंगे तुम को
दिल तो मासूम है चल पडा मोहब्बत की राह पर
समझ ना पाया तुम जैसे बेवफा को
शिकवा क्या करे तुम से हम संगदिली का
शिकस्त तो दी है हमारी सादगी ने हम को
दुआ मे आपकी खुशी मांगते है
फिर सोचते है और क्या मांगे रब से
जिसकी आप दिन रात दुआ मांगते है
अब किसी और ज़माने पे ना टालो मुझको
किसी झूमर की तरह खुद पे सजा लो मुझको
ज़िन्दगी अपनी किसी तरहा बना लो मुझको
अपनी आगोश के तकिये पे मेरा सर रख दो
उंगलियाँ फेर के बालो मे सुला दो मुझको
मुझको तन्हाई की दुनियाँ मे ना रखो जाना
अपने आईने का इक अक्स बना लो मुझको
दुश्मनी पर उतर आये है, दुनिया वाले
अपनी पलको की पनाहो मे छुपा लो मुझको
कितना प्यारा लगता है,
ये मौसम भीगा-भीगा सा
कितना न्यारा लगता है,
संग तेरे सजना मुझको
भीगना अच्छा लगता है,
हो गर्मी का या पतझड़ का
सब बारिश का सा लगता है,
जब पास मेरे तुम होते हो
हर मौसम अच्छा लगता है,
तुझ संग खेलू बूंदों से मैं
हल्की-हल्की सी बारिश में,
लेकर हाथों में हाथ झूमना
कितना सुहाना लगता है,
भीगना रिम-झिम बारिश में
कितना प्यारा लगता है,
ये मौसम भीगा-भीगा सा
सबसे न्यारा लगता है,
रुत आये जो बारिश की
मुझे सबसे प्यारा लगता है
नाव जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो है।
एक चिनगारी कही से ढूँढ लाओ दोस्तों,
इस दिए में तेल से भीगी हुई बाती तो है।
एक खंडहर के हृदय-सी, एक जंगली फूल-सी,
आदमी की पीर गूंगी ही सही, गाती तो है।
एक चादर साँझ ने सारे नगर पर डाल दी,
यह अंधेरे की सड़क उस भोर तक जाती तो है।
निर्वचन मैदान में लेटी हुई है जो नदी,
पत्थरों से, ओट में जा-जाके बतियाती तो है।
दुख नहीं कोई कि अब उपलब्धियों के नाम पर,
और कुछ हो या न हो, आकाश-सी छाती तो है।
मंज़िल मालूम है लेकिन
रास्तों से अनजान हूँ
कभी इधर भटकता कभी उधर
कुआ मालूम है लेकिन
रास्तों से अनजान हूँ
परेशानियों से छिपकर
कभी इधर ठोकर खाता कभी उधर
ऊपाय मालूम है लेकिन
रास्तों से अनजान हूँ
मझधार में फँस्कर
कभी इधर गोता खाता कभी उधर
किनारा मालूम है लेकिन
रास्तों से अनजान हूँ
दिल के हाथों चोट खाकर
कभी इधर सीसकता कभी उधर
मेह्खाना मालूम है लेकिन
रास्तों से अनजान हूँ
गगन में उड़ता
कभी इधर सरसराता कभी उधर
क्षितिज मालूम है लेकिन
रास्तों से अनजान हूँ
प्यार के गलियारों में
कभी इधर खोजता कभी उधर
ठिकाना मालूम है लेकिन
रास्तों से अनजान हूँ
मौत के सागर में
कभी इधर डूबता कभी उधर
अंजाम मालूम है लेकिन
रास्तों से अनजान हू
जिंदगी में प्यार किसने पाया है ,
हम तो झूमते है उसकी यादों में ,
और लोग कहेते है .........
देखो आज फिर पी कर आया है
दिल रोयेगा बहुत ये संभल नहीं पायेगा फिर कभी भी,
नहीं थमेगी इन अश्को की बरसात उस जुदाई के बाद|
इस दिल में बसे हो सिर्फ तुम ही नहीं कोई तुम्हारे सिवा,
मिटा देंगे खुद का नामोनिशां भी हम उस जुदाई के बाद|
दिल को रहती है आस यही हम मिले हर मुलाक़ात के बाद,
ना आये अब जुदाई की रात कभी किसी मुलाक़ात के बाद
खोये रहते हैं सिर्फ तुम में ही हम हर मुलाक़ात के बाद|
मिलती है ख़ुशी तुमसे हमें उस हर मुलाक़ात के बाद,
दिल चाहता नहीं बिछड़ना कभी किसी मुलाक़ात के बाद|
वक़्त ना आये कभी ऐसा की जुदा तुम हो जाओ हमसे,
हम नहीं जी पायेंगे फिर सनम तुमसे उस जुदाई के बाद|
दिल रोयेगा बहुत ये संभल नहीं पायेगा फिर कभी भी,
नहीं थमेगी इन अश्को की बरसात उस जुदाई के बाद|
इस दिल में बसे हो सिर्फ तुम ही नहीं कोई तुम्हारे सिवा,
मिटा देंगे खुद का नामोनिशां भी हम उस जुदाई के बाद|
दिल को रहती है आस यही हम मिले हर मुलाक़ात के बाद,
ना आये अब जुदाई की रात कभी किसी मुलाक़ात के बाद
चली जो जाऊं मैं दूर तुमसे कल... तो क्या होगा
अभी तो दिये जाते हो तुम दर्द मुझको अनजाने ही
मै खुद बन जाऊ जो एक दर्द कल... तो क्या होगा
मुझे मेरी मोहब्बत में.. दगा तुम ना दे जाना ,
तुमही ने तो सिखाई है, मुहब्बत की ये परिभाषा
कभी मुझ से खफा होकर.. मुझे तुम भूल ना जाना,
मेरे दिल में बसाई है, जो तुमने प्यार की दुनिया
लगा के चोट दिल पे तुम.. दर्द सनम ना दे जाना,
मोहब्बत के नसीब में अक्सर, जुदा होना ही होता है
मेरे महबूब मगर मुझको.. ना तनहा छोड़ के जाना,
तुमही हो आस जीने की, नहीं तुम बिन कोई मेरा
मेरी इस आस को हमदम.. कभी ना तोड़ के जाना,
तुम मेरी मोहब्बत हो, मैं तुम बिन जी नहीं सकती
तुम मेरी मोहब्बत को.. कभी रुस्वां ना कर जाना |
"" बड़ी संगदिल है ये दुनिया.. ना तनहा मुझको जीने दे.. ना संग तुम्हारे जीने दे
मुझे मेरी मोहब्बत की.. तड़पने की.. रोने की.. सज़ा हमदम ना दे जाना, मुझे तुम भूल ना जाना
ज़िन्दगी ने यू अकेले छोडा ना होता
सब कुछ पाकर भी कुछ अधुरा सा है
काश किसी दोस्त ने यू छोडा ना होता
जहाँ रहुंगा मे वही मेरी मन्ज़िल होगी
अंदर से फौलाद सा हो गया हूँ मै
गिनुंगा रास्ते के कंकर कितनी मुशिकल होगी
नही मिले तो चैन से सौ जाता हूँ
मै समझता हूँ चीज़ वो संगदिल होगी
अपनी मन्ज़िल का रास्ता पूछते है लोग
मेरे हाथ मे जलती हुई कन्दिल होगी
हौसले और हिम्मत को इरादे मजबूत करे
वरना सबकी नज़रे बुजदिल होगी
कि हवा भी आपको छू ना सके
प्यार करना इतना की कोई दुर हो ना सके
तन्हाई मे अगर कोई बैठा हो तो
सोच कर आपको कोई रो ना सके
ठंडी हवाये और भीगी ज़मीन है
याद आ रही है आपकी कुछ बाते
आप भी याद कर रहे होंगे इतना यकीन है
हम तेरे साथ चलेंग़े जब तक जान मे जान है
भले मेरी जान मेरे साथ ना रहे
पर मै मेरी जान के साथ हूँ
जब तक मेरी जान मे जान है
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हमेशा चलता ही रहता है चलता जाएगा ..... ये वक़्त
कभी मीठी यादें कभी सिर्फ़ बातें बनके याद आएगा ....ये वक़्त
कभी किसी को माँ की लोरियों में तो कभी गाँव की गलियों में
कभी निभाए हुए दोस्ती के वादों में तो कभी भूली सखियों में
छोटी छोटी भूलें जिन्हें हम अब तक नही भूलें
बचपन के वो पल जो अब भी कभी कभी हमे छूलें
उन लम्हों को हमेशा वैसे ही जिंदा रखेगा.........ये वक़्त
ये वक़्त ....................ये वक़्त
वक़्त.............
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ये वक़्त ही तो है जो हमे आप जैसे दोस्तों से भी मिलाता है
वरना जो बिछड़ जाता है वो कहाँ लौट के आता है
बस इसके हर पल को जीने की तमन्ना है
दोस्त गर सब साथ हों तो ये भी ख़ुशी मनाता है
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वक़्त से बढ़कर कहाँ कुछ होता है
ये जैसा चाहता है वैसा ही होता है
ये साथ जिसके सितारें उसके बुलंदी पर
जो रोता है ये उससे भागा करता है
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वक़्त की आगोश में कोई नही जाता इसने ख़ुद ही सबको समेट रखा है
लाखों यादें हजारों कसमों को भुला और कुछ को जिंदा रखा है
जो मिला बिछुड़के उससे फिर से अलग कर देता है
जो मिला ही नही कभी उसे भी पर अपने दिल में इसने सहेज रखा है
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कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है !!
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है !
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है !!
मोहब्बत एक एहसासों की पावन सी कहानी है !
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है !!
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं !
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है !!
समंदर पीर का है अन्दर, लेकिन रो नही सकता !
यह आँसू प्यार का मोती है, इसको खो नही सकता !!
मेरी चाहत को दुल्हन बना लेना, मगर सुन ले !
जो मेरा हो नही पाया, वो तेरा हो नही सकता !!
भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हँगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पला बैठा तो हँगामा,
अभी तक डूब कर सुनते थे हम किस्सा मुहब्बत का
मैं किस्से को हक़ीक़त में बदल बैठा तो हँगामा !!!*******Dr. Kumar Vishwas
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तू दुर है मुझसे और पास भी है
तेरी कमी का एहसास भी है
दोस्त तो हमारे लाखो है इस जहाँ मे
पर तू प्यारा भी है और खास भी है
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ए खुदा मेरे मुक़द्दर में ये तूने क्या लिखा
रातों की काली स्याही आँखो का जागना लिखा
ये तमन्ना थी मेरी चाँद-तारे हो मेरे
होश में आने से पहले टूटते हैं सपने मेरे
अस्कों की स्याही से मेरे प्यार का किस्सा लिखा
ए खुदा मेरे मुक़द्दर में ये तूने क्या लिखा
ज़ख्म सीने में दिए और हौसला देखा नही
जीते जी मरना पड़ा क्या तूने ये सोचा नही
थोड़ी सी ज़मीन का हिस्सा नाम मेरे क्यू लिखा
ए खुदा मेरे मुक़द्दर में ये तूने क्या लिखा
बाग़-ए-दुनिया क्यू मुझे तूने कभी बख़्शी नही
खुशियों का कोई पड़ाव मेरे रास्ते में नही
ईद में ना, ना दीवाली का कोई किस्सा लिखा
ए खुदा मेरे मुक़द्दर में ये तूने क्या लिखा
रातों की काली स्याही आँखो का जागना लिखा
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हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है,
जिस तरफ़ भी चल पड़ेगे, रास्ता हो जाएगा.
कितना सच्चाई से, मुझसे ज़िंदगी ने कह दिया,
तू नहीं मेरा तो कोई, दूसरा हो जाएगा.
मैं खूदा का नाम लेकर, पी रहा हूँ दोस्तो,
ज़हर भी इसमें अगर होगा, दवा हो जाएगा.
सब उसी के हैं, हवा, ख़ुश्बु, ज़मीनो-आस्माँ,
मैं जहाँ भी जाऊँगा, उसको पता हो जाएगा.
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आज एक बार सबसे मुस्करा के बात करो
बिताये हुये पलों को साथ साथ याद करो
क्या पता कल चेहरे को मुस्कुराना
और दिमाग को पुराने पल याद हो ना हो
आज एक बार फ़िर पुरानी बातो मे खो जाओ
आज एक बार फ़िर पुरानी यादो मे डूब जाओ
क्या पता कल ये बाते
और ये यादें हो ना हो
बारीश मे आज खुब भीगो
झुम झुम के बचपन की तरह नाचो
क्या पता बीते हुये बचपन की तरह
कल ये बारीश भी हो ना हो
आज हर काम खूब दिल लगा कर करो
उसे तय समय से पहले पुरा करो
क्या पता आज की तरह
कल बाजुओं मे ताकत हो ना हो
आज एक बार चैन की नीन्द सो जाओ
आज कोई अच्छा सा सपना भी देखो
क्या पता कल जिन्दगी मे चैन
और आखों मे कोई सपना हो ना हो
क्या पता
कल हो ना हो
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मेरी खामोशियों में भी फसाना ढूंढ लेती है
बड़ी शातिर है ये दुनिया बहाना ढूंढ लेती है
हकीकत जिद किए बैठी है चकनाचूर करने को
मगर हर आंख फिर सपना सुहाना ढूंढ लेती है
न चिडि़या की कमाई है न कारोबार है कोई
वो केवल हौसले से आबोदाना ढूंढ लेती है
समझ पाई न दुनिया मस्लहत मंसूर की अब तक
जो सूली पर भी हंसना मुस्कुराना ढूंढ लेती है
उठाती है जो खतरा हर कदम पर डूब जाने का
वही कोशिश समन्दर में खजाना ढूंढ लेती है
जुनूं मंजिल का, राहों में बचाता है भटकने से
मेरी दीवानगी अपना ठिकाना ढूंढ लेती है......
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लोग मोहब्बत को खुदा का नाम देते है,
कोई करता है तो इल्जाम देते है।
कहते है पत्थर दिल रोया नही करते,
और पत्थर के रोने को झरने का नाम देते है।
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मुस्कराना ही ख़ुशी नहीं होती,
उम्र बिताना ही ज़िन्दगी नहीं होती,
दोस्त को रोज याद करना पड़ता है,
क्योकि दोस्त कहना ही दोस्ती नहीं होती
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वो दर्द ही क्या जो आँखों से बह जाए,
वो खुशी ही क्या जो होठों पे रह जाए,
कभी तो समझो मेरी खामोशी को,
वो बात ही क्या जो लफ्ज़ आसानी से कह जायें
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दिल मे मेरे, बसने वाला किसी दोस्त का प्यार चाहिए,
ना दुआ, ना खुदा, ना हाथों मे कोई तलवार चाहिए,
मुसीबत मे किसी एक प्यारे साथी का हाथों मे हाथ चाहिए,
कहूँ ना मै कुछ, समझ जाए वो सब कुछ,
दिल मे उस के, अपने लिए ऐसे जज़्बात चाहिए,
उस दोस्त के चोट लगने पर हम भी दो आँसू बहाने का हक़ रखें,
और हमारे उन आँसुओं को पोंछने वाला उसी का रूमाल चाहिए,
उलझ सी जाती है ज़िन्दगी की किश्ती दुनिया की बीच मँझदार मे,
इस भँवर से पार उतारने के लिए किसी के नाम की पतवार चाहिए,
अकेले कोई भी सफर काटना मुश्किल हो जाता है,
मुझे भी इस लम्बे रास्ते पर एक अदद हमसफर चाहिए,
पर कोई, जो कहे सच्चे मन से अपना दोस्त, ऐसा एक दोस्त चाहिए
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अक्सर रिश्तों को रोते हुए देखा है,
अपनों की ही बाँहो में मरते हुए देखा है
टूटते, बिखरते, सिसकते, कसकते
रिश्तों का इतिहास,
दिल पे लिखा है बेहिसाब!
प्यार की आँच में पक कर पक्के होते जो,
वे कब कौन सी आग में झुलसते चले जाते हैं,
झुलसते चले जाते हैं और राख हो जाते हैं!
क्या वे नियति से नियत घड़ियाँ लिखा कर लाते हैं?
कौन सी कमी कहाँ रह जाती है
कि वे अस्तित्वहीन हो जाते हैं,
या एक अरसे की पूर्ण जिन्दगी जी कर,
वे अपने अन्तिम मुकाम पर पहुँच जाते हैं!
मैंने देखे हैं कुछ रिश्ते धन-दौलत पे टिके होते हैं,
कुछ चालबाजों से लुटे होते हैं-गहरा धोखा खाए होते हैं
कुछ आँसुओं से खारे और नम हुए होते हैं,
कुछ रिश्ते अभावों में पले होते हैं-
पर भावों से भरे होते है! बड़े ही खरे होते हैं !
कुछ रिश्ते, रिश्तों की कब्र पर बने होते हैं,
जो कभी पनपते नहीं, बहुत समय तक जीते नहीं
दुर्भाग्य और दुखों के तूफान से बचते नहीं!
स्वार्थ पर बनें रिश्ते बुलबुले की तरह उठते हैं
कुछ देर बने रहते हैं और गायब हो जाते हैं;
कुछ रिश्ते दूरियों में ओझल हो जाते हैं,
जाने वाले के साथ दूर चले जाते हैं !
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एक रात धड़कन ने आँख से पूछा
तू दोस्ती में इतनी क्यों खोयी है
तब दील से आवाज़ आई
दोस्तों ने ही दी है खुसिया सारी
वरना प्यार करके तो हर आँख रोई है
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सूख जाते हैं लब, लफ्ज़ मिलते नही
होता नही हम से इश्क़ बयान
उन्हे कैसे बताऊं दिल की लगी
कैसे सिखाऊँ आँखों की ज़ुबान
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रहो जमीं पे, मगर आसमां का ख्वाब रखो,
तुम अपनी सोच को हर वक्त लाजवाब रखो.
खड़े न हो सको इतना न सर झुकाओ कभी,
तुम अपने हाथ में किरदार की किताब रखो.
उभर रहा जो सूरज, तो धूप निकलेगी
उजालों में रहो, मत धुंध का हिसाब रखो.
मिले तो ऐसे कि कोई न भूल पाये तुम्हें
महक वंफा की रखो और बेहिसाब रखो.
अक्लमंदों में रहो तो अक्लमंदों की तरह
और नादानों में रहना हो रहो नादान से.
वो जो कल था और अपना भी नहीं था दोस्तों
आज को लेकिन सजा लो एक नयी पहचान से.
रहो जमीं पे, मगर आसमां का ख्वाब रखो,
तुम अपनी सोच को हर वक्त लाजवाब रखो
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तुम से मिलने को जी चाहता है
रात के इन अंधेरो मे अक्सर
तेरी यादो को दिल मे सजाऐ
ना जाने बहाऐ कितने आंसू
उन आंसूओ मे खुद अब बहकर
तुम से मिलने को जी चाहता है
तन्हाइयो से तंग आ गये है
रोशनी से हम घबरा गये है
तेरी चाहत के दीप जलाकर
फिर से तेरे करीब आकर
तुमसे मिलने को जी चाहता है
अब छोडो पुराने तुम ये किस्से
क्या क्या कहा किस किस से
हाथो को हाथो मे थामे
आंखो को आंखो मे डाले
तुम से मिलने को जी चाहता है
आओ हम जोडे वफ़ाऐं
भुला दें जो हुई थी खताऐं
फिर से नई दुनियां बसाकर
चलो फिर साथ गुनगुनाऐ
तुम से मिलने को दिल चाहता है
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मत कराओ इंतज़ार इतना कि वक़्त के फैसले पर अफ़सोस हो जाये
क्या पता कल तुम लौटकर आओ और हम खामोश हो जाएँ
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रोया है दिल आँख मुस्कुराई है, यूँ किसी से हमने वफ़ा निभाई है
जो न एक लम्हा कभी दे पाए, उनकी खातिर हमने बहुत खुशिया गवाई है
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रास्ते खुद तबाही के निकाले हमने
दिल कर दिया किसी पत्थर के हवाले हमने
ना जानते थे क्या रस्क है मोहब्बत
अपना ही घर फूँक देखे उजाले हमने
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बदलने को तो इन आँखों के मंजर कम नहीं बदले !
तुम्हारी याद के मौसम हमारे गम नहीं बदले !!
तुम अगले जनम में मिलोगी हमसे तब तो मानोगी !
ज़माने और सदी की इस बदल में हम नहीं बदले !!
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तुम्हारे पास हूँ लकिन जो दूरी है समझता हूँ !
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ !!
तुम्हे मैं भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नहीं लेकिन !
तुम्ही को भूलना सबसे ज़रूरी है समझता हूँ
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ऐसा वादा न कर मुझसे की तू निभा न सके,
इतना दूर न जा की कभी मुझ पे हक़ जता न सके,
गलत्फमियों से न लगा नफरत की आग,
की चाह कर भी तू बुझा न सके,
न खीच दिल के आईने पे कुछ ऐसी रेखाएं जो चेहरा बदल दे,
की अपनी ही सूरत तू धडकनों को कभी दिखा न सके,
न बांध ज़माने के रिश्तों में मासूम प्यार को तू आज,
की कल खुदा सी मोहब्बत के जस्बातों को तू कुछ समझा न सके,
है दम तेरी नफरत में तो छोड़ दे तस्बूर में भी मेरा ख्याल,
कहीं ऐसा न हो एक पल के लिए भी तेरी साँसे मुझे भुला न सके,
नामो निशा भी न छोड़ तू मेरी किसी निशानी का अपने पास,
लेकिन वक़्त के हाथ तेरे चेहरे से मेरे प्यार का निशा मिटा न सके,
सजा दिया नए रिश्तो की रौशनी ने मन तेरा जीवन,
पर यादों के लम्हों की दाल से ये मेरा नाम हाथ न सके,
इंसा से लेके खुदा तक सबने जिसे मिटाना चाहा
ऐसी मोहब्बत को भुलाने के लिए हम खुद को मन न सके,
न कर इतना शर्मिंदा मेरी मोहब्बत को आज,
की कल तू इस इश्क को अपने दिलके महल में सजा न सके...
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मोहब्बत का इरादा अब बदल जाना भी मुश्िकल है,
तुझे खोना भी मुश्िकल है, तुझे पाना भी मुश्िकल है.
जरा सी बात पर आंखें िभगो के बैठ जाते हो,
तुझे अब अपने िदल का हाल बताना भी मुश्िकल है,
उदासी तेरे चहरे पे गवारा भी नहीं लेिकन,
तेरी खाितर िसतारेतोड़ कर लाना भी मुश्िकल है,
यहाँ लोगों ने खुद पे परदे इतने डाल रखे हैं,
िकस के िदल में क्या है नज़र आना भी मुश्िकल है,
तुझे िज़न्दगी भर याद रखने की कसम तो नहीं ली,
पर एक पल के िलए तुझे भुलाना भी मुश्िकल है...
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आँखों के इंतज़ार का दे कर हुनर चला गया,
चाहा था एक शख़्स को जाने किधर चला गया।
दिन की वो महफिलें गईं, रातों के रतजगे गए
कोई समेट कर मेरे शाम-ओ-सहर चला गया।
झोंका है एक बहार का रंग-ए-ख़याल यार भी,
हर-सू बिखर-बिखर गई ख़ुशबू जिधर चला गया।
उसके ही दम से दिल में आज धूप भी चाँदनी भी है,
देके वो अपनी याद के शम्स-ओ-क़मर चला गया
कूचा-ब-कूचा दर-ब-दर कब से भटक रहा है दिल,
हमको भुला के राह वो अपनी डगर चला गया।
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ढूंड़ता है क्यूं नादान कहीं दूर तू उसे
खोया ही कब था जो अब खोज के लाएगा तू उसे
न होश गवां अपने उसकी तलाश में
अपने ही गिरेबान में पायेगा तू उसे
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न जाने कहाँ से ज़िन्दगी में आ जाता है दर्द
क्यों मन को इस कदर दुखाता है दर्द
आँखों से लहू बन कर बहता है दर्द
पन्नो पर शब्द बन कर बिखर जाता है दर्द
दिल को बहुत दुखाता है यह दर्द
बेगाने क्या अपने भी दे जाते है दर्द
हंसी में भी दबे पाँव आ जाता है दर्द
हर पल अपने होने का एहसास दिलाता है दर्द
सांसो मे क्या अब तो dharkano मे भी बस गया है दर्द
न जाने कहाँ से ज़िन्दगी में आ जाता है दर्द
दर्द कैसा भी हो आंख नम न करो
दर्द कैसा भी हो आंख नम न करो
रात काली सही कोई गम न करो
एक सितारा बनो जगमगाते रहो
ज़िन्दगी में सदा मुस्कुराते रहो
बांटनी है अगर बाँट लो हर ख़ुशी
गम न ज़ाहिर करो तुम किसी पर कभी
दिल कि गहराई में गम छुपाते रहो
ज़िन्दगी में सदा मुस्कुराते रहो
अश्क अनमोल है खो न देना कहीं
इनकी हर बूँद है मोतियों से हसीं
इनको हर आंख से तुम चुराते रहो
ज़िन्दगी में सदा मुस्कुराते रहो...